इतिहास में पहली बार सादगी पूर्वक मना मां छिन्नमस्तिके जयंती, लॉकडाउन की वजह से श्रद्धालुओं की नहीं जुटी भीड़
लॉकडाउन के कारण रजरप्पा मंदिर में बुधवार को मां छिन्नमस्तिके देवी की जयंती सादगी पूर्वक मनायी गयी.
चितरपुर : लॉकडाउन के कारण रजरप्पा मंदिर में बुधवार को मां छिन्नमस्तिके देवी की जयंती सादगी पूर्वक मनायी गयी. अहले सुबह मां छिन्नमस्तिके देवी की विशेष पूजा-अर्चना के साथ दोपहर में मां भगवती को भोग लगाया गया. वहीं संध्या में मां छिन्नमस्तिके देवी की विशेष श्रृंगार और आरती की गयी. जानकारी के अनुसार यहां प्रतिवर्ष बैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि को मां छिन्नमस्तिके देवी की जयंती मनायी जाती है. लेकिन इस वर्ष लॉकडाउन को लेकर 20 मार्च से मंदिर में श्रद्धालुओं का पूजा-अर्चना बंद है. जिस कारण यहां श्रद्धालु नहीं पहुंच पाए. इतिहास में पहली बार मां छिन्नमस्तिके जयंती में श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं रही. साथ ही बिना सजावट के ही मंदिर में पूजा हुई.
नहीं सजा माता का दरबार
मां छिन्नमस्तिके जयंती के दिन प्रतिवर्ष मंदिर को कोलकाता के रंग-बिरंगे फूलों से आकर्षक रूप से सजाया जाता था. साथ ही यहां हवन, जाप और भव्य रूप से भंडारा का भी आयोजन होता था. लेकिन इस वर्ष मंदिर में सन्नाटा पसरा रहा.
मंदिर में हुई सप्तसती पाठ
मंदिर न्यास समिति के सचिव शुभाशीष पंडा ने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अहले सुबह मंदिर का पट खोल कर मंत्रोचारण के साथ मां भगवती का अभिषेक किया गया. इसके बाद पांच पुजारियों के द्वारा मां दुर्गा की सप्तसती पाठ किया गया. साथ ही संध्या में मां छिन्नमस्तिके की श्रृंगार व आरती की गयी. इसके बाद आस-पास के लोगों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया.
क्यों मनायी जाती है जयंती
मंदिर के वरिष्ठ पुजारी असीम पंडा ने बताया कि राजा दक्ष द्वारा विराट यज्ञ का आयोजन किया गया था. जिसमें राजा दक्ष ने भगवान शंकर को निमंत्रण देना भूल गये थे. इससे नाराज होकर भगवान शंकर यज्ञ में नहीं पहुंचे. लेकिन राजा दक्ष की पुत्री मां दुर्गा यज्ञ में आने के लिए जिद्द करने लगी. तत्पश्चात भगवान शंकर के नहीं आने पर नाराज मां दुर्गा ने भगवान शिव के समक्ष अपने विराट नौ रूपों को दिखाया. जिसमें छठे स्वरूप में मां छिन्नमस्तिके देवी विराजमान थी. तब से इसी तिथि से मां छिन्नमस्तिके की जयंती मनायी जा रही है