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अच्छी पहल : युवा किसान टेकलाल ने बंजर भूमि में लायी हरियाली, 6 एकड़ में उगा रहे हैं सब्जियां

मांडू प्रखंड के सांडी तिलैया के आदिवासी युवा किसान टेकलाल बेदिया (25 वर्ष ) बंजर भूमि में हरियाली लाकर दूसरे किसानोें के लिए प्रेरणा बन गये हैं. टेकलाल अपने परिवार के सदस्यों के सहयोग से लगभग 6 एकड़ बंजर भूमि में कई तरह की सब्जियां उगा रहे हैं. उनके खेत में नेनुआ, कद्दू, बोदी, टमाटर, भिंडी, शारुकंदा, ओल, टोटी, कोहड़ा, धनियां, मकई सहित कई अन्य फसलें लगायी गयी है, जो आगे चलकर आमदनी का जरिया बनेगा.

कुजू (रामगढ़) : मांडू प्रखंड के सांडी तिलैया के आदिवासी युवा किसान टेकलाल बेदिया (25 वर्ष ) बंजर भूमि में हरियाली लाकर दूसरे किसानोें के लिए प्रेरणा बन गये हैं. टेकलाल अपने परिवार के सदस्यों के सहयोग से लगभग 6 एकड़ बंजर भूमि में कई तरह की सब्जियां उगा रहे हैं. उनके खेत में नेनुआ, कद्दू, बोदी, टमाटर, भिंडी, शारुकंदा, ओल, टोटी, कोहड़ा, धनियां, मकई सहित कई अन्य फसलें लगायी गयी है, जो आगे चलकर आमदनी का जरिया बनेगा.

टेकलाल के खेतों में सब्जियां अभी पूरी तरह से उगकर तैयार नहीं हुई हैं, लेकिन उम्मीद है कि जून माह के शुरुआत में बड़े पैमाने पर सब्जियां उत्पादन होना शुरू हो जायेगा. इससे बाजारों में अच्छे भाव मिलेंगे, तो टेकलाल को इस वर्ष अच्छी आमदनी होगी. अगर सबकुछ ठीक ठाक रहा, तो टेकलाल का यह प्रयास इलाके के अन्य किसानों के लिए एक प्ररेणादायक साबित होगा. बताते चलें कि युवा टेकलाल जिस बंजर भूमि का चयन किया है, वह काफी पत्थरीला व झाड़ियों से पटा था. आज यह पूरा खेत देखकर विश्वास नहीं होता कि कल तक यह वही बंजर भूमि है.

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टपक विधि (ड्रिप एरिगेशन) से की है खेती

इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद इस युवक ने घर के हालात को देखते हुए अपने आप को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह बीड़ा उठाया. वह काफी दिनों तक रोजगार की तलाश में भटकता रहा, लेकिन रोजगार नहीं मिलने के बाद अपने परिजनों के साथ मिलकर इस भूमि का चयन किया. ड्रिप एरिगेशन से खेती करने का मन बनाया. इसके लिए उन्होंने भूमि संरक्षण अनुसंधान केंद्र, डेमोटांड़ हजारीबाग से प्रशिक्षण भी प्राप्त किया. अंततः उसने इस लॉकडाउन में अपने बंजर जमीन पर खेती का शुभारंभ किया, लेकिन चहारदीवारी नहीं होने के कारण शुरुआत में बहुत परेशानी हुई. बाद में चारों तरफ उसने जाली से उसका घेराव किया. साथ ही जुताई कर ड्रिप एरिगेशन से फसलें लगाने का काम शुरू किया. इस काम को करने में अब तक ढाई से तीन लाख रूपये खर्च हो चुके है.

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डीजल पंप से फसलों का हो रहा पटवन

टेकलाल जहां खेती कर रहे हैं वहां सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसी स्थिति में उसने JCB के माध्यम से एक कुआंनुमा गड्ढा खोदा. यहां जल का अच्छा स्रोत मिला. अब इस गड्ढे में जमे पानी को डीजल मशीन के माध्यम से फसलों में पटवन कर रहा है. सभी पटवन ड्रिप एरिगेशन विधि से किया जा रहा है.

सरकारी मदद मिले, तो खेती के क्षेत्र में हो सकते हैं अग्रसर : टेकलाल

युवा किसान टेकलाल बेदिया ने बताया कि इसके लिए उसने बैंक से ऋण भी लिया है. अब दिन- रात अपने परिवार के साथ खेतों में लगे रहते हैं. हमें उम्मीद है कि मौसम ठीक-ठाक रहा, तो उस कार्य में हमलोग आत्मनिर्भर जरूर बनेंगे. साथ ही सरकार की ओर से सरकारी सुविधा मिले, तो हमलोग इस अभियान को और आगे बढ़ा सकते हैं.

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