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होली का एक अलग अंदाज : कुजू के आरा चार नंबर में होती है मुर्गा लड़ाई

होली का एक अलग अंदाज : कुजू के आरा चार नंबर में होती है मुर्गा लड़ाई

By SAROJ TIWARY | March 13, 2025 9:03 PM
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धनेश्वर प्रसाद, कुजू होली रंगों का त्योहार है. लोग एक दूसरे को रंग- गुलाल लगाते हैं. आपस में मिल कर पुआ- पकवान खाते हैं. परंतु क्षेत्र के आरा चार नंबर के पास कुछ अलग अंदाज में ही होली मनायी जाती है. होली के अवसर पर यहां दो दिवसीय मुर्गा लड़ाई का आयोजन किया जाता है. होली के दिन घर-परिवार, रंग-गुलाल, पुआ -पकवान को छोड़ कर दो हजार से अधिक लोग यहां मुर्गा लड़ाई में हिस्सा लेने पहुंचते हैं. रांची, बोकारो, धनबाद, सिमडेगा, गुमला, कोडरमा, जमशेदपुर जिलों समेत अन्य ग्रामीण क्षेत्र से मुर्गा लड़ाई के शौकीन आरा चार नंबर आते हैं. यह कार्यक्रम सुबह से शाम तक चलता है. इसमें सिर्फ पुरुष ही शामिल होते हैं. होली के मौके पर मुर्गा लड़ाई का विशेष आयोजन : होली के दिन सुबह छह बजे से ही मुर्गा लड़ाई में शामिल होने के लिए लोग पहुंचने लगते हैं. अधिकतर लोग अपने साथ लड़ाकू मुर्गा लेकर यहां पहुंचते हैं. पहले वह यहां अपने मुर्गों को लड़ाने के लिए उसका जोड़ा खोजते हैं. फिर दोनों मुर्गों के बीच ट्रायल के तौर पर लड़ाया जाता है. इसके बाद कैंतीकार से मुर्गे के पैरों में धागा और कैंती (छुरी) बंंधवा कर बाड़े में उतारा जाता है. मुर्गा लड़ाई के लिए दो बाड़े बनाये जाते हैं. एक जनरल और एक वीआइपी बाड़ा होता है. आयोजन समिति के लोगों द्वारा मुर्गा लड़ाने वाले लोगों से निर्धारित रकम लेकर बाड़े में प्रवेश कराया जाता है. इसके बाद बाड़े में मुर्गा लड़ाई शुरू होती है. हाथों में रुपये लेकर लगायी जाती है हार – जीत की बाजी : बाड़े में लड़ने वाले मुर्गों के बीच लड़ाई शुरू होने के साथ ही अपने हाथों में रुपए लिए लोग आपस में बाजी लगाते हैं. दो मुर्गों की लड़ाई में कौन मुर्गा जीतेगा और कौन मुर्गा हारेगा, इस बात पर पर दांव लगाया जाता है. दो मुर्गों के बीच की लड़ाई में हुई जीत- हार पर बाजी लगाने वाली लोगों की जीत- हार तय होती है. मिली जानकारी के अनुसार यहां लााखों रूपए की बाजी लगाकर लोगों ने दो दिवसीय मुर्गा लड़ाई में सुबह से शाम तक हिस्सा लेते हैं.

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