प्रतिनिधि, गिद्दी (हजारीबाग)
प्रबंधन का कहना है कि लोग घर खाली नहीं करेंगे, तो परियोजना बंद हो जायेगी. यहां पर लगभग तीन-चार वर्षों के लिए कोयले का भंडार है. रैलीगढ़ा परियोजना क्षेत्र की सबसे पुरानी परियोजनाओं में एक है. आजादी के पहले वर्ष 1945 में एक निजी कंपनी ने रैलीगढ़ा में खदान खोली थी. राष्ट्रीयकरण के बाद रैलीगढ़ा परियोजना सीसीएल के अधीन है. रैलीगढ़ा में 480 कर्मी कार्यरत हैं. सीसीएल प्रबंधन ने चालू वित्तीय वर्ष में रैलीगढ़ा परियोजना को पांच लाख मीट्रिक टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया है. सीसीएल प्रबंधन रैलीगढ़ा में आने वाले कुछ वर्षों के अंदर बड़ी माइंस खोलने की योजना बना ली है. इसके लिए पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए कागजी प्रक्रिया बढ़ा दी गयी है. यह बड़ी माइंस खुलेगी, तो प्रतिवर्ष 20 लाख मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन होगा. इस माइंस के खुलने से रैलीगढ़ा का वर्तमान स्वरूप भी बदल जायेगा. रैलीगढ़ा पीओ एएन सिंह ने कहा कि मुड़ा पट्टी क्षेत्र के चिह्नित लोगों को घर खाली करने के एवज में प्रबंधन मुआवजा देने के लिए तैयार है.
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