Jharkhand Chunav 2024: रजरप्पा (रामगढ़), सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार-आज चुनाव में प्रत्याशी जहां लग्जरी गाड़ियों से लेकर हेलीकॉप्टर तक से प्रचार-प्रसार करते हैं, वहीं 80 के दशक में विधायक रहे अर्जुन राम ट्रेन से चुनाव प्रचार के लिए निकलते थे. प्रचार के दौरान जिस गांव में रात होती थी, वहीं वे सो जाते थे. चुनाव लड़ने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. सोकला के शिक्षक माथुर महतो ने नामांकन के लिए उन्हें 250 रुपए दिए थे. उन्होंने रामगढ़ विधानसभा सीट से दो बार जीत हासिल की है. 1980 और 1990 में झामुमो के टिकट चुनाव लड़ा था.
आद्रा-बरकाकाना लोकल पैसेंजर ट्रेन से जाते थे प्रचार करने
पूर्व विधायक अर्जुन राम ने बताया कि उस दौर में चुनाव प्रचार का कोई साधन नहीं था. पैसे की भी कमी थी. इस कारण वे घर से खाना खाकर निकलते थे. वे आद्रा-बरकाकाना लोकल पैसेंजर ट्रेन में बैठ कर रामगढ़, बरकाकाना, मायल स्टेशन पर उतरते थे और यहां से गांव-गांव में जाकर प्रचार प्रसार करते थे. उस समय सूचना तंत्र मजबूत नहीं था. जिस कारण बिना बताये टोले मुहल्लों में पहुंचते थे और लोगों से मिल कर वोट देने की अपील करते थे. इस बीच वे कई लोगों के घर में खाना भी खाते थे. प्रचार के दौरान जिस गांव में रात होती थी, उसी गांव में सो जाते थे.
शिक्षक माथुर महतो ने नामांकन के लिए दिए थे 250 रुपए
पूर्व विधायक अर्जुन राम बताते हैं कि चुनाव लड़ने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे. उस समय सोकला गांव के शिक्षक माथुर महतो ने नामांकन कराने के लिए उन्हें 250 रुपए दिए थे. 1980 में उन्हें 25 हजार वोट मिले थे और उन्होंने 1200 वोट से जीत हासिल की थी. उन्होंने बताया कि इस चुनाव में वे बिना पैसा खर्च किये विधायक बने थे. वे एक फुटबॉलर थे और किसान परिवार से थे. उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. बावजूद लोगों ने उन पर भरोसा जताया था. अर्जुन राम 1990 में दूसरी बार विधायक बने. इससे पहले 1978 में डीमरा पंचायत में मुखिया चुने गये थे.
जब हवाई चप्पल पहन गए थे शपथ लेने
अर्जुन राम ने बताया कि 1980 में जब वे चुनाव जीते और बिहार विधानसभा में शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए गए, तो उन्हें साधारण वेशभूषा और हवाई चप्पल पहने देख वहां के सुरक्षा गार्डों ने रोक दिया. जब उन्होंने बताया कि वे रामगढ़ विधानसभा से चुनाव जीत कर आए हैं, तब उन्हें अंदर जाने दिया गया. इसके बाद उन्होंने शपथ ली थी. आज भी पूर्व विधायक अर्जुन राम बिना तामझाम के सादा जीवन जीते हैं.