भुरकुंडा. भुरकुंडा कोयलांचल व आसपास के ग्रामीण इलाकों में ठंड से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. सुबह से ही घना कोहरा छाया रहता है. विजिबिलिटी इतनी कम रहती है कि 50 मीटर दूर तक भी देखना मुश्किल होता है. बाइक व चारपहिया वाहन चालक हेड लाइट जला कर चल रहे हैं. कोहरे व ठंड की मार सबसे अधिक दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ रही है. इन्हें कामकाज में दिक्कत हो रही है. सीसीएल क्षेत्र में कार्यस्थलों पर भी लोग अलाव का सहारा लेकर काम करते दिख रहे हैं. शाम होते ही चौक-चौराहे व सड़कों पर सन्नाटा पसर जा रहा है. दुकानदार अपनी दुकानों के बाहर अलाव जला रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में तो ठंड का जनजीवन पर और भी बुरा असर पड़ रहा है. मवेशियों का ख्याल रखना भी मुश्किल हो रहा है. ठंड बढ़ने के कारण बाजारों में ऊनी वस्त्र व कंबल की बिक्री बढ़ गयी है. गुरुवार को कोयलांचल का न्यूनतम तापमान आठ व अधिकतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस रिकाॅर्ड किया. इधर, ठंड को लेकर सीसीएल अस्पताल भुरकुंडा के डॉ सुनील कुमार ने कहा कि लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. ऐसे समय में बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. जो लोग पहले से बीमार हैं, उनकी परेशानी और बढ़ जाती है. बच्चों और बुजुर्गों काे विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है. डॉ कुमार ने कहा कि ठंड से बच्चों व बुजर्गों को विशेष रूप से बचाने की जरूरत है. सर्दी-जुकाम, बुखार या उल्टी की शिकायत होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. खेत-बारी पर भी ठंड का प्रतिकूल असर : ठंड का प्रतिकूल असर खेती-बारी पर भी पड़ रहा है. दलहन व तिलहन की खेती ज्यादा प्रभावित है. सरसों, चना, मटर जैसी फसलों की बढ़ने की रफ्तार ज्यादा ठंड पड़ने पर कम हो जाती है. गेहूं की फसल में कोहरे के कारण फंगस लगने व अन्य बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है. किसान संजय मेहता ने बताया कि ठंड व कुहासे के कारण लहसुन के पौधे में पीलापन आ गया है. प्याज के पौधे का ग्रोथ कम हो गया है. सरसों के फूल में फल सही ढंग से नहीं लगेगा. फसलों पर नियमित दवा का छिड़काव करें : कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि ठंड व कोहरे के साथ पछुआ हवा के कारण शीतलहर बढ़ गयी है. ऐसे मौसम में आलू की फसल को बचाने की चुनौती बढ़ जाती है. बताया गया कि आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए नियमित अंतराल पर डायथेन एम-45 दवा का छिड़काव करना चाहिए. सरसों की फसल पर कुहासा के कारण लाही जैसे कीट का प्रकोप बढ़ जाता है. इससे बचाव के लिए किसान फूल वाले सरसों के खेत में कीटनाशक दवा का छिड़काव अवश्य करें.
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