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उरीमारी की न्यू बिरसा में की फायरिंग, आलोक गिरोह ने ली जिम्मेवारी

उरीमारी की न्यू बिरसा में की फायरिंग, आलोक गिरोह ने ली जिम्मेवारी

प्रतिनिधि, उरीमारी उरीमारी की न्यू बिरसा परियोजना में कार्यरत आउटसोर्सिंग कंपनी बीजीआर साइट पर बुधवार की रात ताबड़-तोड़ गोली चला कर नये आपराधिक गिरोह ने कोयलांचल क्षेत्र में अपनी दस्तक दी है. रात करीब 10 बजे आधा दर्जन से अधिक अपराधी बाइक से साइट पर पहुंचे. करीब आधा दर्जन हवाई फायरिंग करते हुए यहां चल रहे हाइवा नंबर 80 में आग लगा दी और चले गये. हालांकि, आग पर तुरंत काबू पा लिया गया. इसके कारण नुकसान नहीं हुआ. घटना के बाद रात भर कामकाज बंद रहा. अपराधियों के बारे में कयास ही लगाया जा रहा था, तब तक गुरुवार सुबह आलोक गिरोह के नाम से एक पर्चा तेजी से वायरल हुआ. इसमें इस घटना की जिम्मेवारी आलोक गिरोह के भैरव सिंह ने लेते हुए कहा है कि क्षेत्र का कोई भी ट्रांसपोर्टर अब बिना आलोक गिरोह को मैनेज किये नहींं चल सकता है. यदि कोई बात नहीं मानेगा, तो उसकी खोपड़ी खोल दी जायेगी. आलोक गिरोह के लोगों ने स्थानीय मीडियाकर्मियों को भी व्हाट्सएप कॉलिंग कर घटना की जिम्मेवारी ली. इसके बाद क्षेत्र में खलबली मच गयी. पुलिस ने भी साइट पर पहुंचकर घटना की जानकारी ली. हालांकि, बीजीआर प्रबंधन ने अब तक पुलिस से कोई शिकायत नहीं की है. यह गिरोह सीसीएल बरका-सयाल कोयलांचल क्षेत्र के लिए नया है. क्षेत्र के सभी ट्रांसपोर्टरों में भय है. पांडेय, श्रीवास्तव व अमन गिरोह पहले से है सक्रिय : बरका-सयाल कोयलांचल क्षेत्र में पहले से तीन प्रमुख गिरोह पांडेय, श्रीवास्तव व अमन साहू गैंग सक्रिय है. उन्हें बिना मैनेज किये सीसीएल क्षेत्र में कोई काम नहीं होता है. तीनों गैंग का प्रभाव सीसीएल क्षेत्र से बाहर भी है. सीसीएल में ट्रांसपोर्टिंग, आउटसोर्सिंग, ठेका-पट्टा आदि में इन गैंग की रंगदारी का कमीशन तय है. नये आपराधिक गिरोह की इंट्री होने पर होता है खून-खराबा : चौथे गिरोह की इंट्री के साथ ही क्षेत्र में गैंगवार की आशंका बढ़ गयी है. पूर्व में भी जब-जब क्षेत्र में नये आपराधिक गिरोह की इंट्री हुई है, तब-तब खून-खराबा हुआ है. पांडेय के बाद जब श्रीवास्तव गुट यहां पैर जमाने की कोशिश कर रहा था, तब उसे पांडेय गिरोह से लगातार चुनौती मिलती थी. दरअसल, रंगदारी के एवज में गिरोह के लोग अपने आसामी को प्रोटेक्शन भी देते हैं. ऐसे में जब दूसरा कोई गिरोह उनसे रंगदारी की मांग करता है, तो प्रोटेक्शन देने वाले गिरोह को नागवार गुजरता है. इसके बाद स्थिति खून-खराब तक पहुंच जाती है. इसमें कई बार आसामी को भी जान-माल की क्षति हो जाती है. अमन साहू गैंग भी जब स्थापित होने की कोशिश कर रहा था, उस वक्त भी गैंगवार हुआ था. यही कारण है कि आलोक गिरोह की इंट्री के बाद एक बार फिर गैंगवार की चर्चा जोरों पर है.

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