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सेवानिवृत्त से नौ दिन पहले पीओ को पद से हटाया, 22 कामगारों का ट्रांसफर

सेवानिवृत्त से नौ दिन पहले पीओ को पद से हटाया, 22 कामगारों का ट्रांसफर

प्रतिनिधि, रजरप्पा

रजरप्पा प्रबंधन ने रजरप्पा प्रोजेक्ट में संवेदनशील पदों पर कार्यरत 22 कामगारों का एक साथ टेबल ट्रांसफर कर दिया है. उन्हें शीघ्र योगदान देने का निर्देश दिया है. जानकारी के अनुसार, क्लर्क रंजीत राम, रंजीत कुमार, शत्रुघ्न कुमार, शिवनारायण रविदास, सुरेश तुरी, मोहन प्रसाद सिंह, किशोर कुमार करमाली, बढ़न पहान, गुलशन कुमार, ओमप्रकाश महतो, फुलचंद मूर्मू, नीलकमल मुंडा, संजय कुमार, सीनियर क्लर्क सहजू महतो, प्रयाग केवट, क्लर्क/ओएल चितरंजन दास चौधरी, ओएस चरितर राम, विकास कुमार टोप्पो, चीफ कैशियर विनोद कुमार सिंह, केटेगरी एक बेचन कुमार, जूनियर डाटा इंट्री ऑपरेटर कुमार शिवम, क्लर्क ग्रेड दो जीतराम को एक जगह से दूसरे जगह भेजा गया है. उधर, सूत्रों का कहना है कि निगरानी विभाग के निर्देश पर कुछ कामगारों को इधर से उधर किया गया है. चर्चा है कि अन्य जगहों पर संवेदनशील पदों से कुछ कामगारों को नहीं हटाया गया है. इसकी प्रतिलिपि संबंधित अधिकारियों को दी गयी है.

पीओ को पद से हटाना बना चर्चा का विषय : एक ओर जहां रजरप्पा प्रबंधन द्वारा कई अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया है,. वहीं, सीसीएल मुख्यालय द्वारा रजरप्पा पीओ यूएन प्रसाद को परियोजना पदाधिकारी के पद से हटा कर रजरप्पा एरिया में भेजा गया है. एएसएम/एक्यूएम पद पर कार्यरत रणधीर कुमार सिंह को रजरप्पा पीओ बनाया गया है. पीओ श्री प्रसाद का स्थानांतरण क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है. बताया जाता है कि श्री प्रसाद 31 अगस्त को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. ऐसी स्थिति में सेवानिवृत्त से नौ दिन पहले पीओ के पद से उन्हें हटाना कई सवाल खड़ा कर रहा है. उधर, डिस्पैच पदाधिकारी मिथिलेश कुमार को रजरप्पा से ढोरी एरिया भेजा गया है. आलोक कुमार मल्लिक को मैनेजर पद से हटा कर एसओ पीएंडपी बनाया गया है. सूत्रों का कहना है कि निगरानी विभाग द्वारा कांटा घर से चिप, हार्ड डिस्क व सीसीटीवी फुटेज जब्त करने के बाद यह कार्रवाई की गयी है. उधर, कोल्फील्ड मजदूर यूनियन के सहायक महामंत्री चंदेश्वर सिंह ने कहा कि कांटा घर से निगरानी विभाग द्वारा चिप जब्त करने के बाद इसकी शिकायत सीएमडी, सीसीएल मुख्यालय से की गयी थी. इसके बाद इन्हें हटाया गया. उन्होंने कहा कि पद से अधिकारियों को हटाना पर्याप्त नहीं है. इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए.

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