मेले में बड़ी संख्या में जुट रहे हैं लोग
फोटो फाइल संख्या 21 कुजू: कथा मंच पर मौजूद कथा वाचक और यज्ञाचार्य, 21 कुजू ए: आकर्षक शिव मंदिर
कुजू. बोंगाबार मंडाटांड में चल रहे श्री श्री 1008 हनुमत प्राण प्रतिष्ठा सह रुद्र महायज्ञ में भक्ति की बयार बह रही है. श्रद्धालु सुबह- शाम पूजा – अर्चना से लेकर प्रवचन पंडाल में राम कथा को सुनकर भक्ति की बहती गंगा में गोता लगा रहे हैं. जबकि यज्ञशाला मंडप की परिक्रमा से लेकर मंदिर परिसर में लगाए गए भव्य मेले का आनंद उठा रहे हैं. इधर यज्ञ समिति ने शिव मंदिर को फूल माला से सुसज्जित करने के साथ आकर्षक रूप में विद्युत सज्जा की है, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. तीसरे दिन रविवार को यज्ञाचार्य मनोज पांडेय के देख रेख में उनके सहयोगी आचार्य धीरज कुमार पांडेय, अजीत तिवारी, मनीष पांडेय, रजनीश पांडेय, अतुल कुमार पांडेय अमित पाण्डेय, मौसम पांडेय अभिषेक पांडेय, मोदी, आशीष पांडेय ने यजमान बने चौधरी महतो, सुखदेव महतो, नारायण महतो, लक्ष्मण महतो, मक्खन महतो, प्रकाश महतो, रामजतन महतो, तरुण गिरी, अर्जुन प्रजापति, खुशलाल महतो, महेश कुशवाहा, धर्मनाथ महतो, इंदू करमाली, राजेंद्र महतो, लछु महतो, सुरेश महतो सह पत्नीक के हांथों विधिवत कई अनुष्ठान को संपन्न कराया. पंडितों ने पूरे वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच प्रातः काल में वेद पाठ, वेदी पूजन, मंडप पूजन, हवन, अन्ना धिवास, फलाधिवास, पुष्पा धिवास, संध्या आरती, पुष्पांजलि, भोग निवेदन आदि अनुष्ठान को कराया गया. लेकिन बड़ी बात तो यह है की इसकी सफलता को लेकर समिति के लोग पूरी तन्यमयता के साथ लगे हैं.
दहेज समाज के लिए अभिशाप: राघव प्रिया
रात्रि कथा में संगीतमय कथा की प्रस्तुति देते हुए वृंदावन धाम से आई विदुषी राघव प्रिया ओझा जी ने कहा की त्रेता में भी एक पिता अपनी पुत्री के विवाह के लिए चिंतित और उदास थे, और आज कलयुग में भी हर एक पिता दहेज रूपी धनुष को लेकर उदास है. सतयुग में भगवान राम ने तो धनुष को तोड़ कर एक पिता की चिंता को दूर किया. ठीक उसी प्रकार आज कलयुग में भी युवा पीढ़ी को दहेज रूपी धनुष को तोड़कर दहेज न लेने का निर्णय लेकर हर एक पिता की चिंता को दूर करना चाहिए.
राम की बड़ी महिमा है: वैदेही शरण महाराज
अयोध्या धाम से आये वैदेही शरण महाराज ने राम कथा का गुणगान करते हुए कहा कि भगवान राम की बड़ी महिमा है. अगर कोई इंसान गलती से भी इस नाम को अपने जीवा से उच्चारण कर ले तो उसकी तरण हो जाती है. इसलिए साधु संत कभी राम कथा को कहने और सुनने से नहीं थकते. राम के नाम में क्या सुख है यह बात संत -फकीरों से भी पूछ लिया करें.