रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने नींबू पहाड़ पर हुए अवैध खनन मामले में सीबीआइ जांच को चुनौती देनेवाली राज्य सरकार की क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई की. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखा. सुनवाई में महाधिवक्ता राजीव रंजन, अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने श्री सिब्बल को सहयोग किया.
उनकी ओर से अदालत को बताया गया कि नींबू पहाड़ में अवैध खनन को लेकर सीबीआइ ने राज्य सरकार की अनुमति लिये बिना ही प्राथमिकी दर्ज कर दी है, जो गलत है. इसके लिए हाइकोर्ट ने भी सीबीआइ को आदेश नहीं दिया था. यदि सीबीआइ को प्रारंभिक जांच (पीइ) में तथ्य मिला भी था, तो उसे राज्य सरकार से अनुमति लेनी चाहिए थी, लेकिन सीबीआइ की ओर से ऐसा नहीं किया गया, सीधे प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी. श्री सिब्बल ने सीबीआइ द्वारा दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने का आग्रह किया.
सीबीआइ के अधिवक्ता ने किया सरकार की दलील का विरोध: सीबीआइ की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार ने राज्य सरकार की दलील का विरोध किया. उन्होंने बताया कि झारखंड हाइकोर्ट का ही आदेश था कि यदि पीइ में आपराधिक घटनाओं के होने का तथ्य मिलता है, तो सीबीआइ विधिसम्मत निर्णय लेकर मामले में आगे बढ़ सकती है. हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में तथा पीइ में मिले तथ्यों के आधार पर सीबीआइ निदेशक ने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. उन्होंने याचिका को निरस्त करने का आग्रह किया.