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सुपर 30 की तर्ज पर झारखंड सरकार ने शुरू किया था आकांक्षा 40, कई इंटर भी पास नहीं कर सके

निराशाजनक प्रदर्शन :सरकार ने करायी थी मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी रांची : सरकार ने राज्य के मेधावी बच्चों के मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए सत्र 2015-17 सभी जिलों में कोचिंग की शुरुआत की थी. इसमें चयनित सभी विद्यार्थी सरकारी विद्यालयों के थे. रांची में जिला स्कूल में वर्ष 2016 में इसकी शुरुआत की गयी थी. […]

निराशाजनक प्रदर्शन :सरकार ने करायी थी मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी
रांची : सरकार ने राज्य के मेधावी बच्चों के मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए सत्र 2015-17 सभी जिलों में कोचिंग की शुरुआत की थी. इसमें चयनित सभी विद्यार्थी सरकारी विद्यालयों के थे.
रांची में जिला स्कूल में वर्ष 2016 में इसकी शुरुआत की गयी थी. इसमें वैसे बच्चों का चयन हुआ था, जिन्होंने वर्ष 2015 में मैट्रिक पास कर 11वीं में नामांकन लिया था. विद्यार्थियों के चयन के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय द्वारा प्रवेश परीक्षा आयोजित की गयी थी. प्रवेश परीक्षा में शामिल टाॅप 40 बच्चों का नामांकन कोचिंग में लिया गया.
इसकी शुरुआत स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने की थी. बच्चों को सरकार की ओर से पोशाक, बैग व अन्य पठन सामग्री भी उपलब्ध करायी गयी थी. उक्त कोचिंग में पढ़ने वाले बच्चे मेडिकल-इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करना तो दूर, कई बच्चे तो इंटरमीडिएट की परीक्षा भी पास नहीं कर सके. वहीं कोचिंग शुरू होने के कुछ दिन बाद ही 13 बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी. कोचिंग संचालन सप्ताह में चार दिन किया जाता था. तीन दिन तीन-तीन तथा रविवार को पांच कक्षा होती थी. बच्चों को काफी दूर से कोचिंग के लिए जिला स्कूल आना-जाना होता था, इसी वजह से धीर-धीरे बच्चों की उपस्थिति कम होने लगी. कोचिंग में सत्र 2016-18 में बच्चों का नामांकन भी नहीं हुअा.
कोचिंग में राजधानी विभिन्न स्कूलों के बच्चों का चयन किया गया था. दर्जन भर परीक्षार्थी इंटर साइंस की परीक्षा में फेल हो गये. सरकार ने सुपर 30 की तर्ज पर कोचिंग को आकांक्षा 40 का नाम दिया था.
12 लाख रुपये का था बजट
जिला स्तरीय कोचिंग के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा 12 लाख रुपये बजट का प्रावधान किया गया था. जिलों को राशि भी उपलब्ध करायी गयी थी, पर बच्चों का रिजल्ट देखने से यह प्रतीत होता है, इसका कोई खास लाभ नहीं हुआ. प्रतियोगिता परीक्षा पास करना तो दूर कुछ बच्चे इंटर भी पास नहीं कर पाये. कोचिंग में जिला स्कूल, बालकृष्ण प्लस टू उवि, सीएन राज उवि रातू, उच्च विद्यालय चिलदांग व कांके हाइस्कूल समेत अन्य स्कूल के बच्चों का चयन किया गया था.
शिक्षकों को मिलते थे प्रति कक्षा 500 रुपये
काेचिंग में कक्षा संचालन के लिए जिला के प्लस टू उच्च विद्यालय के कुछ शिक्षकों का चयन किया गया था. शिक्षक को प्रति कक्षा 500 रुपये दिया जाता था. कक्षा एके झा, तरुण कुमार लाला, आशुतोष सिंह व अन्य शिक्षक चयनित किये गये थे. 11वीं में कोचिंग के लिए चयनित बच्चे जब 12वीं में पहुंचे, तो कोचिंग बंद हो गया. इसके अलावा वर्ष 2016 में जिला स्तर पर कोचिंग की शुरुआत भी नहीं हुई. इस कारण भी विद्यार्थी को परेशानी हुई.
अन्य जिलों में भी कोचिंग खस्ता हाल
रांची के अलावा राज्य के कुछ जिलों को छोड़ दिया जाये तो अधिकांश जिलों में जिला स्तरीय कोचिंग की स्थिति ठीक नहीं है. कुछ जिलों में कोचिंग समय पर शुरू नहीं हुआ. काेचिंग की निगरानी ठीक से नहीं होने के कारण इसमें पठन-पाठन की व्यवस्था दिन-प्रतिदिन लचर होती चली गयी. बच्चों ने भी आना छोड़ दिया. कोचिंग के लिए चयनित कितने मेडिकल-इंजीनियरिंग की परीक्षा में शामिल या पास हुए इसकी भी जानकारी एकत्र नहीं की गयी.
मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए बच्चों को चयनित कर कोचिंग दी गयी थी. इसमें से कितने बच्चे इंटर में पास हुए इसकी रिपोर्ट मांगी गयी हैै. कितने बच्चों का चयन का मेडिकल-इंजीनियरिंग के लिए हुआ है, इसकी भी जानकारी फिलहाल नहीं है. इस सत्र से फिर से जिला स्तरीय कोचिंग की शुरुआत की जायेगी.
रतन कुमार महावर, डीइओ रांची

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