मुख्यमंत्री जनसंवाद: दिया गया निर्देश, तरहसी अंचल के सीओ को किया गया शोकॉज

रांची: सरकारी भूमि के अतिक्रमण मामले में लापरवाही बरतने से संबंधित मामले में मुख्यमंत्री सचिवालय के संयुक्त सचिव प्रमोद तिवारी ने पलामू के तरहसी अंचल के सीओ से स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही इनके निलंबन के लिए पलामू के उपायुक्त से अनुमोदन लेने और प्रपत्र (क) गठित करने का आदेश दिया है. वहीं दूसरी तरफ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 7, 2017 6:36 AM
रांची: सरकारी भूमि के अतिक्रमण मामले में लापरवाही बरतने से संबंधित मामले में मुख्यमंत्री सचिवालय के संयुक्त सचिव प्रमोद तिवारी ने पलामू के तरहसी अंचल के सीओ से स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही इनके निलंबन के लिए पलामू के उपायुक्त से अनुमोदन लेने और प्रपत्र (क) गठित करने का आदेश दिया है. वहीं दूसरी तरफ धनबाद में 86 डिसमिल रैयती जमीन पर पुलिस लाइन धनबाद द्वारा 10 वर्ष से कब्जा करने के मामले में धनबाद के उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक और राजस्व के अधिकारियों को बैठक कर एक सप्ताह में इसका समाधान करने का निर्देश दिया.

बोकारो में नोडल पदाधिकारी की अनुपस्थिति में किसी सक्षम अधिकारी को उनका दायित्व नहीं देने पर संयुक्त सचिव ने नोडल पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही देवघर में सरकारी जमीन पर कब्जा के मामले में तीन दिन में अतिक्रमण हटाने का आदेश सीओ को दिया. श्री तिवारी ने मंगलवार को सूचना भवन में मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में दर्ज शिकायतों की साप्ताहिक समीक्षा के बाद यह निर्देश दिया. इस दौरान कुल 14 मामलों की समीक्षा की गयी.
भुगतान का निर्देश
हजारीबाग के डाड़ी अंचल में पदस्थापित अनुसेवक लवन कुमार पांडेय की दुर्घटना में हुई मृत्यु के बाद उनके पुत्र को देय अनुग्रह अनुदान के 10 लाख रुपये यथाशीघ्र देने का निर्देश दिया गया. बताया गया कि आश्रित को जनसेवक के पद पर बहाल किया गया है तथा पेंशन भी मिल रहा है.
अनुकंपा पर नौकरी
खूंटी में उग्रवादी हिंसा के शिकार हुए बैजनाथ मुंडा के पुत्रों को मुआवजा और नौकरी देने के संबंध में बताया गया कि बड़े पुत्र को मुआवजा दिया जा चुका है. छोटे पुत्र को इसी सप्ताह नौकरी दे दी जायेगी.
दलपति सरकारी कर्मी नहीं
सिमडेगा के सिमाहातू पंचायत के दलपति की हत्या के बाद उनकी पत्नी को डालसा के माध्यम से मुआवजा दिलाने के लिए एक सप्ताह का समय सिमडेगा और गुमला के अधिकारियों को दिया गया. चूंकि दलपति सरकारी कर्मी नहीं होते, इसलिए आश्रित को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती.

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