नरेगा वाच के सम्मेलन में उठी मांग, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा, न्यूनतम मजदूरी व मनरेगा मजदूरी में अंतर न हो

रांची: नरेगा मात्र रोजगार सृजन का ही नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक बदलाव का भी अवसर देता है. नरेगा महिलाओं को यह अवसर देता है कि उन्हें घर से बाहर अपने पंचायत में ही काम मिले. उक्त बातें नरेगा वाच से जुड़े अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कही. वह नामकुम बगइचा में नरेगा वाच के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 10, 2017 6:29 AM

रांची: नरेगा मात्र रोजगार सृजन का ही नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक बदलाव का भी अवसर देता है. नरेगा महिलाओं को यह अवसर देता है कि उन्हें घर से बाहर अपने पंचायत में ही काम मिले. उक्त बातें नरेगा वाच से जुड़े अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कही. वह नामकुम बगइचा में नरेगा वाच के दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन अपने विचार व्यक्त कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि झारखंड को नरेगा से बहुत लाभ मिल सकता है, पर बिचौलियों के कारण यह अवसर नहीं मिल पा रहा है. अधिवेशन में विशेष रूप से आमंत्रित नरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि नरेगा के क्रियान्वयन में बहुत सारी गड़बड़ियां हैं. उन्होंने कहा कि योजना बनाओ अभियान द्वारा पहली बार राज्य भर में ग्रामीणों ने नरेगा योजनाओं का खुद चयन किया.

हालांकि कई जगह योजनाओं के चयन में बिचौलिये हावी थे. श्री त्रिपाठी ने कहा कि गर्भवती महिलाओं के लिए सरकार अलग एसओआर पर काम कर रही है. नरेगा वाच के बलराम ने इस वर्ष नरेगा मजदूरी में मात्र एक रुपये की बढ़ोतरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि न्यूनतम मजदूरी और नरेगा मजदूरी में अंतर नहीं होना चहिए. जिला सुनवाई के बाद हर हाल में 15 दिन के बाद कार्रवाई होनी चाहिए. एेसा नहीं होने से सामाजिक अंकेक्षण में लोगों की विश्वसनीयता घट जायेगी. अधिवेशन को जवाहर मेहता, बबीता और तारामणि ने भी संबोधित किया. इससे पहले नरेगा वाच के राज्य संयोजक जेम्स हेरेंज ने नेटवर्क की पिछले दो साल की उपलब्धियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस अवसर पर गंगाभाई, धीरज, अंकिता, पचाठी सिंह, अनन्या, विश्वनाथ व अन्य मौजूद थे.

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