जनजातीय क्षेत्राें में आम सहमति से काम करे सरकार
रांची: आज आदिवासी समुदाय के समक्ष कई तरह की चुनौतियां हैं. संगठित होकर ही इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है. आदिवासियों की परंपरागत व्यवस्था अौर संगठन प्रयास कर रहे हैं कि समुदाय को संगठित रखा जा सके. आज का कार्यक्रम इसी उद्देश्य के तहत है. ये बातें शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा […]
रांची: आज आदिवासी समुदाय के समक्ष कई तरह की चुनौतियां हैं. संगठित होकर ही इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है. आदिवासियों की परंपरागत व्यवस्था अौर संगठन प्रयास कर रहे हैं कि समुदाय को संगठित रखा जा सके. आज का कार्यक्रम इसी उद्देश्य के तहत है. ये बातें शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कही. वह मोरहाबादी स्थित संगम गार्डेन में आयोजित भारत मुंडा समाज के चतुर्थ राष्ट्रीय कांफ्रेंस के उदघाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. अर्जुन मुंडा ने आदिवासी समाज अौर झारखंड के विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि कुछ चीजें सरकार लोगों की भलाई के नाम पर करती है.
पर लोगों तक यह संदेश पहुंचाने में असफल रहती है कि उससे समुदाय का क्या भला होगा, तो फिर असंतोष फैलता है. सरकार जनजातीय क्षेत्रों में संवैधानिक तरीके से अौर लोगों की सहमति से काम करे. चीजों को लोगों पर थोपे नहीं. अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी भाषाअों को भी मान्यता मिलनी चाहिए. संथाली को सम्मान मिला है, पर आग्नेय भाषा परिवार में मुंडारी भाषा अौर अन्य भाषाएं हैं, जिन्हें मान्यता मिलनी चाहिए. इससे पूर्व भारत मुंडा समाज के जेनरल सेक्रेटरी नाथा सिंह ने कहा कि भारत मुंडा समाज का गठन मुंडारी भाषा, साहित्य, संस्कृति, धर्म, दर्शन अौर पर्व-त्योहार के संरक्षण के लिए हुआ है.
समाज ने भाषाई आंदोलन का काम, पुस्तकों का प्रकाशन अौर अन्य काम को आगे बढ़ाया है. समाज अपना काम आगे अौर बढ़ायेगा. अन्य वक्ताअों ने भी मुंडा समाज की एकता अौर सांगठनिक ढांचे को मजबूत करने के बारे में अपनी बात रखी. समाज के नेशनल काउंसिल के अध्यक्ष अौर अन्य पदाधिकारियों के चुनाव पर भी चर्चा की गयी. रविवार को समाज के नये पदाधिकारियों के नामों की घोषणा की जायेगी. इस कार्यक्रम में मीरा मुंडा, रूपलक्ष्मी मुंडा, जेठा नाग, प्रेम सागर मुंडा, जगलाल पाहन, गोपीनाथ मुंडा, शंकर बारला, बीरेंद्र सोय सहित अन्य लोग उपस्थित थे. इस कांफ्रेंस में झारखंड, बंगाल, असम, छत्तीसगढ़ अौर ओड़िशा से भी मुंडा समाज के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.