वहीं बच्चों को बाद में उच्च विद्यालय या फिर प्लस टू में नामांकन लेना पड़ता है. विभाग का मानना है कि यदि इन बच्चों को केंद्रीय सहायता से संचालित एकलव्य या केंद्रीय निधि से निर्मित पर राज्य सरकार द्वारा संचालित अाश्रम विद्यालयों में शिफ्ट कर दिया जाये, तो इससे इन बच्चों को ज्यादा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी तथा वे एक ही स्कूल में 10वीं से 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. चूंकि कल्याण विभाग के सभी 132 प्राथमिक, मध्य, उच्च व प्लस-टू विद्यालय आवासीय हैं. इसलिए इससे बच्चों या अभिभावकों को कोई परेशानी भी नहीं होगी.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने झारखंड में छह आश्रम तथा चार एकलव्य विद्यालय खोले जाने को मंजूरी दी है. अाश्रम विद्यालय में छठी से दसवीं, जबकि एकलव्य में छठी से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. आश्रम विद्यालयों के निर्माण में छह करोड़ रुपये, जबकि एकलव्य विद्यालय के निर्माण में 12 करोड़ रुपये खर्च होंगे. गुमला में दो आश्रम विद्यालय खोले जाने को मंजूरी मिली है. तीन आश्रम तथा चार एकलव्य विद्यालय पहले से हैं. इस तरह अब राज्य में कुल आठ एकलव्य विद्यालय तथा नौ आश्रम विद्यालय हो जायेंगे. कल्याण विभाग के तहत जनजातीय इलाके में खुलनेवाले इन विद्यालयों का लाभ स्थानीय एसटी बच्चों को मिलेगा. एक एकलव्य विद्यालय में 400 बच्चे, जबकि एक आश्रम विद्यालय में 230 बच्चों के रहने-पढ़ने की सुविधा होती है.