शिक्षकों पर कार्रवाई करने से बेहतर नहीं होगा रिजल्ट
रांची. राज्य गठन के बाद से सरकार लगातार मैट्रिक व इंटरमीडिएट के रिजल्ट में सुधार के लिए प्रयास कर रही है. पर आज तक आशा के अनुरूप रिजल्ट में सुधार नहीं हुआ. यहां तक कि सुधार के बदले रिजल्ट में पहले की तुलना में गिरावट देखी जा रही है. सरकार इसके लिए शिक्षकों को जिम्मेदार […]
राजकीय उच्च विद्यालय में लगभग 30 वर्ष पूर्व शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय में विद्यालय के स्थापना काल से ही शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है. राज्य गठन के बाद लगभग 1300 मध्य विद्यालय को हाइस्कूल में अपग्रेड कर दिया गया है, पर इसमें मात्र 338 विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति की गयी. इतने कम शिक्षक में भी राज्य में मैट्रिक का परीक्षाफल 67 फीसदी हुआ है.
सरकार विद्यालयों को अपग्रेड करने के साथ उसे संसाधन युक्त करें. अपग्रेड विद्यालय में बिना शिक्षक के पढ़ाई शुरू करने का आदेश जारी कर दिया जाता है. इससे विद्यालय का रिजल्ट शुरू में ही खराब हो जाता है और अभिभावक ऐसे विद्यालयों में बच्चों काे पढ़ाने से कतराते हैं.
ऐसे में सरकार पहले अपग्रेड विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति करें, तब पढ़ाई शुरू करे. जहां तक इंटरमीडिएट की पढ़ाई की बात है, तो इंटर की पूरी पढ़ाई का सिस्टम ही फेल है. राज्य में चार स्तर पर इंटर की पढ़ाई होती है. इसमें कक्षा संचालन से लेकर शिक्षकों की याेग्यता तक में एकरूपता नहीं है. यूजीसी के निर्देश के बाद भी अंगीभूत डिग्री कॉलेज से इंटर की पढ़ाई बंद नहीं की गयी. इंटर कॉलेज की पढ़ाई पर सरकार का कोई सीधा नियंत्रण नहीं है. राज्य में केवल प्लस टू विद्यालय में ही इंटर की पढ़ाई की जिम्मेदारी स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग की है. ऐसे में राज्य में इंटरमीडिएट की पढ़ाई को व्यवस्थित करने की आवश्यकता है.