रांची : झारखंड के पानी से वंचित इलाकों को पानी मुहैया कराने के लिए वृहद स्तर पर योजना बनायी गयी है. राज्य सरकार ने बची हुई आबादी को पानी पहुंचाने के लिए बड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है. 12 जिलों की लगभग 70 लाख की ग्रामीण आबादी तक पाइपलाइन से पेयजल सुविधा पहुंचाने के लिए 8500 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. यह राशि विश्व बैंक द्वारा उपलब्ध करायी जा रही है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा इस योजना के लिए रफ इस्टीमेट बना लिया गया है.
अब इसकी डीपीआर तैयार की जा रही है. बताया गया कि जुलाई माह के बाद इस योजना पर काम आरंभ कर दिया जायेगा. बताया गया कि वर्ष 2019 तक यह योजना पूरी हो जायेगी. राज्य सरकार 2020 तक हर घर में नल के लक्ष्य से इस योजना पर काम कर रही है. योजना पूरी होते ही राज्य की शत-प्रतिशत आबादी के घरों में नल से जलापूर्ति होने लगेगी.
कई जिलों में पूर्व से चल रहा है योजना पर काम : ट्राइबल सब प्लान के तहत राज्य के कई जिलों में पूर्व से काम चल रहा है. इसके चलते इस योजना में 12 जिलों की वैसी ही आबादी को लिया गया है, जो अब तक पाइप लाइन पानी की आपूर्ति से वंचित रहे हैं. राज्य के अनुसूचित जनजाति की आबादी कुल जनसंख्या की करीब 28 प्रतिशत है. इनमें अधिकांश राज्य के 15 जिलों के 134 प्रखंडों में निवास करती है. पश्चिम सिंहभूम और गोड्डा जिले में पूर्व से ही अन्य योजनाओं के तहत पाइप वाटर सप्लाई का काम चल रहा है.
गढ़वा जिले का महज एक ब्लॉक एसटी जनसंख्या के अंतर्गत आता है, जहां स्टेट प्लान और नेशनल रूरल ड्रिंकिंग वाटर प्रोग्राम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के तहत योजनाएं चल रही है. इसलिए शेष बचे 12 जिलों रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला, दुमका, साहिबगंज, पाकुड़, जामताड़ा व लातेहार को इस योजना में शामिल किया गया है. वर्तमान में इन 12 जिलों की 32.56 लाख की आबादी पाइप जलापूर्ति योजना से आच्छादित हैं. यहां 180 वृहद और 944 मिनी वाटर सप्लाई स्कीम संचालित हैं.
क्या कहते हैं मंत्री
झारखंड में 2020 तक कोई भी घर ऐसा नहीं होगा, जहां तक पाइप लाइन नहीं होगी. राज्य सरकार इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस वृहद योजना पर काम कर रही है. पानी जनता को सुलभ हो, यही मेरा और सरकार का भी लक्ष्य है. अधिकारियों को तेजी से डीपीआर पर काम करने का निर्देश दिया गया है. यह विभाग का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसे पूरे करने के लिए सभी अधिकारी जी-जान से लगे हुए हैं.
चंद्रप्रकाश चौधरी, मंत्री, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग