इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता जेजे सांगा ने खंडपीठ को बताया कि पांच जजों की पूर्ण पीठ ने फैसला दिया था कि सरकार स्थानीय व्यक्ति काैन होगा, तय कर सकती है, लेकिन राज्य सरकार ने स्थानीय नीति लागू कर दी है.
स्थानीय नीति लागू करने का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है. स्थानीय नीति तय करने का अधिकार संसद को है. वर्ष 2016 में राज्य सरकार ने स्थानीय नीति लागू करने संबंधी अधिसूचना जारी की थी. वह अधिसूचना असंवैधानिक है. उसे निरस्त किया जाना चाहिए. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए अगस्त माह की तिथि निर्धारित की. प्रार्थी आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की अोर से जनहित याचिका दायर कर अधिसूचना को चुनाैती दी गयी है.