प्रयास किया जा रहा है कि इस बिल को जुलाई-अगस्त में होनेवाले विधानसभा के मॉनसून सत्र में पेश किया जाये. पिछले कई वर्षों से सरना समुदाय के लोगों द्वारा धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए सरकार से बिल लाने की मांग की जा रही है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ धर्मांतरण निषेध बिल का पक्षधर है. सरना समुदाय की ओर से कई बार सरकार को पत्र लिख शिकायत की गयी है कि यहां के भोले-भाले आदिवासियों को प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है.
इधर, भाजपा अनुसूचित जनजाति मोरचा समेत प्रदेश भाजपा के कई पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री द्वारा धर्मांतरण बिल लाने की घोषणा का स्वागत किया है. प्रदेश उपाध्यक्ष समीर उरांव ने कहा है कि वर्षों से इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर भोले-भाले शिक्षित, गरीब, निर्धन समाज के लोगों को सेवा के नाम पर शिक्षा व स्वास्थ्य का लालच देकर उनके मूल संस्कृति, धर्म, परंपरा, रीति-रिवाज से बांटने का कुचक्र मिशनरियों ने किया है. यह कार्य ऐसी संस्थाओं द्वारा आज भी जारी है. श्री उरांव ने कहा कि सरकार के स्तर पर इसे रोकने की दिशा में पहल आवश्यक है.
रघुवर दास की सरकार ने झारखंड की अस्मिता, धर्म, संस्कृति की रक्षा के लिए जो कदम उठाने की घोषणा की है, वह निश्चित ही राज्य के लिए आवश्यक है. धर्मांतरण केवल पूजा पद्धति ही नहीं बदलता, बल्कि राष्ट्र और समाज के प्रति सोच भी बदल देता है. इसलिए इस पर शीघ्र कड़ाई से रोक लगाया जाना आवश्यक है.