निंदन की भी सजा मिली है तो नहीं बन सकते दारोगा

रांची: सिपाही से दारोगा बनने के लिए होनेवाली विभागीय सीमित परीक्षा की नियमावली से पुलिसकर्मी परेशान हैं. नियमावली के मुताबिक वैसे पुलिसकर्मी इस परीक्षा में शामिल नहीं हो पायेंगे, जिन्हें सेवाकाल में एक भी निंदन की सजा मिली हो. पुलिस मेंस एसोसिएशन ने इस पर आपत्ति जतायी है. एसोसिएशन ने गृह सचिव को पत्र लिख […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 20, 2017 6:52 AM
रांची: सिपाही से दारोगा बनने के लिए होनेवाली विभागीय सीमित परीक्षा की नियमावली से पुलिसकर्मी परेशान हैं. नियमावली के मुताबिक वैसे पुलिसकर्मी इस परीक्षा में शामिल नहीं हो पायेंगे, जिन्हें सेवाकाल में एक भी निंदन की सजा मिली हो. पुलिस मेंस एसोसिएशन ने इस पर आपत्ति जतायी है. एसोसिएशन ने गृह सचिव को पत्र लिख कर कहा है कि पुलिस विभाग में छोटी-छोटी बातों को लेकर निंदन की सजा देने का प्रावधान है. मसलन बेल्ट ढीला रहने, बुट पॉलिस नहीं रहने, वरदी या टोपी ठीक से नहीं पहनने, किसी सीनियर अफसर के नहीं पहचानने पर सैल्यूट नहीं करने आदि बातों पर भी निंदन की सजा दी जाती है.
एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह के मुताबिक ऐसे बहुत कम सिपाही होंगे, जिन्हें कभी न कभी निंदन की सजा नहीं मिली हो. पुलिस के सीनियर अफसर भी मानते हैं कि इस नियम के रहते शायद ही 1544 पदों के लिए सिपाही मिले, जो सीमित परीक्षा के लिए योग्य माने जायेंगे.
निंदन का क्या है प्रावधान : पुलिस मैनुअल में लघु सजा का प्रावधान नहीं है. यहां तक की वृहद सजा को भी सिर्फ तीन साल प्रभावी माना गया है. इस तरह किसी सिपाही को अगर आवेदन करने से तीन साल पहले वृहद सजा भी मिली हो, तो उसे योग्य माना जाना चाहिए.

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