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समारोह: राज्यपाल ने तसर रेशम वैज्ञानिकों से किया आह्वान, कम लागत की प्रौद्योगिकी विकसित करें, जिससे हो किसानों का विकास

पिस्कानगड़ी: केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक, वैज्ञानिक एवं कर्मियों की अथक मेहनत के कारण ही झारखंड को तसर रेशम की राजधानी कही जाने लगी है. यह सत्य है कि तसर उत्पादन के क्षेत्र में झारखंड अग्रणी राज्य है. देश भर से एकत्र किये गये 341 खाद्य पौध प्रजातियों का जीन बैंक इसी […]

पिस्कानगड़ी: केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक, वैज्ञानिक एवं कर्मियों की अथक मेहनत के कारण ही झारखंड को तसर रेशम की राजधानी कही जाने लगी है. यह सत्य है कि तसर उत्पादन के क्षेत्र में झारखंड अग्रणी राज्य है. देश भर से एकत्र किये गये 341 खाद्य पौध प्रजातियों का जीन बैंक इसी संस्थान में है. यहां देश भर के वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यों के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं. यह बातें राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कही. वह सोमवार को नगड़ी स्थित केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के 54वें स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं.

उन्होंने कहा कि यहां के टेक्नोलॉजी पार्क में एक साथ समस्त प्रौद्योगिकी की जानकारी दी जा सकती है. यह संस्थान सिर्फ पौधा लगा कर रेशम कीट व तसर का उत्पादन ही नहीं करता है बल्कि पौधा लगाकर मानव जीवन को सुरक्षा भी दे रहा है. यही नहीं झारखंड की एक बड़ी आबादी को रोजगार से भी जोड़ रहा है. हमारी नैतिक जिम्मेवारी बनती है कि पौधा लगायें व उसे बचायें.

राज्यपाल ने कहा कि तसर का स्कोप बढ़ाया जाये. अनुसंधान कर नये अायामों को ढूंढा जाये ताकि झारखंड से पलायन की समस्या दूर की जा सके. यहां किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत की जाये, क्योंकि झारखंड वन संपदा से संपन्न है और तसर क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं. उन्होंने उपस्थित वैज्ञानिकों से कहा कि कम लागत वाली प्रौद्योगिकी का विकास करें ताकि किसानों का विकास हो सके. तसर उद्योग महिला सशक्तीकरण का कारगर औजार बन सकता है. कौशल विकास के माध्यम से ग्रामीणों को प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार का माध्यम बनाया जा सकता है.

इससे पूर्व राज्यपाल, केंद्रीय रेशम बोर्ड के अध्यक्ष केएम हनुमंथारायप्पा, झारखंड खादी बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ, रांची मेयर आशा लकड़ा, रांची विवि के कुलपति प्रो आरके पांडेय, पर्यावरणविद प्रो सीआर बाबू एवं संस्थान के निदेशक डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का उदघाटन किया. राज्यपाल ने संस्थान द्वारा संचालित वन्य रेशम प्रौद्योगिकी के डिप्लोमा कोर्स में पिछले पांच वर्षों में श्रेष्ठ प्रदर्शन करनेवाले प्रशिक्षणार्थियों को स्वर्ण पदक व प्रमाणपत्र एवं संस्थान के वैज्ञानिक डॉ जयप्रकाश पांडेय, डॉ कर्मवीर जेना व डॉ बीपी गुप्ता को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. कार्यक्रम का संचालन ललन कुमार चौबे व धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक डॉ वीरेंद्र पाल गुप्ता ने किया.

निदेशक ने बतायी संस्थान की उपलब्धियां

निदेशक डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि संस्थान द्वारा विगत 53 वर्षों से तसर के क्षेत्र में कई उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं. संस्थान के अनुसंधान एवं विकास कार्यों के बल पर तसर रेशम के उत्पादन में 22 गुना बढ़ोतरी हुई है. इस उद्योग से आर्थिक रूप से पिछड़े साढ़े तीन लाख परिवार आजीविका प्राप्त कर रहे हैं. इस कार्य से किसान कृषि कार्य के अलावे सालाना एक से डेढ़ लाख रुपये की आमदनी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए तसर रेशम उत्पादन एवं उत्पादकता की वृद्धि के लिए वैज्ञानिकों द्वारा लगातार अनुसंधान किये जा रहे हैं. हमारा प्रयास है कि प्रौद्योगिकी की लागत कम हो ताकि इस उद्योग से जुड़े ग्रामीण इसे अासानी से स्वीकार कर सकें.

प्रशिक्षण छात्रावास का उदघाटन

राज्यपाल ने संस्थान के प्रक्षेत्र में स्थापित तसर रेशम कीट भोज्य पौध जीन बैंक, तसर टेक्नोलॉजी पार्क एवं हाल ही में खोजे गये तसर भोज्य पौधा लेजरस्ट्रोमिया स्पेसियोसा को देखा. प्रशिक्षण छात्रावास का उदघाटन किया. उन्होंने तसर की लगायी प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया. अन्य अतिथियों के साथ तसर टेक्नोलॉजी मार्गदर्शिका, संस्थान की विवरणिका एवं वार्षिक गृह पत्रिका रेशमवाणी का लोकार्पण किया.

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