कुलपति ने कहा कि प्रत्येक मेडिसनल प्लांट के पोषक गुण हैं. आधुनिकता के साथ-साथ चलें, लेकिन प्राकृतिक विरासत को भी सहेज कर रखना है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक आज की पीढ़ी को मेडिसनल प्लांट के प्रति जागृत करें अौर प्रेरित करें. मेरठ विवि से आये प्रो एसके भटनागर ने कहा कि किसानों की संपन्नता अौर उनकी आय को दुगुना करने के लिए बायोटेक्नोलॉजी के साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है. आर्गेनिक फार्मिंग कर पेस्टिसाइज का उपयोग कम किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि विलुप्त प्राय अौषधीय पौधों को बचाना प्राथमिकता होनी चाहिए. प्रो भटनागर ने कहा कि बायोटेक्नोलॉजी के माध्यम से फसल उत्पादन के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने की जरूरत है. प्रतिकुलपति प्रो कामिनी कुमार ने कहा कि तकनीक के साथ चलें, लेकिन पर्यावरण को नुकशान नहीं पहुंचायें. रांची विवि एकेडमिक स्टाफ कॉलेज के निदेशक डॉ अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि प्रकृति अौर मनुष्य के बीच अच्छा संबंध रहा है. आज स्थित थोड़ी बदली है. लोग अपने दायित्व से मुंह मोड़ रहे हैं.
इससे पूर्व रांची वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या डॉ मंजु सिन्हा ने आगंतुकों का स्वागत किया. इस अवसर पर डॉ केके नाग, डॉ कुनील कांदिर, डॉ अंजनी कुमार श्रीवास्तव, डॉ इच्छापूरक, डॉ सुषमा दास गुरु, डॉ अनिता मेहता, डॉ स्वर्णिम आदि उपस्थित थे. डॉ सुषमा दास गुरु ने बताया कि सेमिनार में तकनीकी सत्र का भी आयोजन होगा. मौके पर पूर्व कुलपति डॉ केके नाग, डॉ फिरोज अहमद, डॉ अशोक कुमार चौधरी, बहरामपुर से डॉ एके पाणिग्रही, महाराष्ट्र से डॉ प्रमोद टेक, डॉ अोपी राठौर, बीएचयू से डॉ जितेंद्र पांडेय, मेरठ से डॉ एसके भटनागर, डॉ मंजु सिन्हा विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे.