सीएनटी-एसपीटी: आदिवासी नेताओं के साथ भाजपा की रायशुमारी आज, भाजपा के आदिवासी विधायकों ने कहा कृषि योग्य भूमि की प्रकृति मत बदलिए
रांची : सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के मुद्दे पर भाजपा अपने आदिवासी नेताओं के साथ गुरुवार को रायशुमारी करेगी. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने पार्टी के सांसदों-विधायकों और एसटी मोरचा के पदाधिकारियों की बैठक पार्टी कार्यालय में बुलायी है. बैठक में आदिवासी नेताओं के बीच मामले में एक राय बनाने की कोशिश होगी. […]
रांची : सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के मुद्दे पर भाजपा अपने आदिवासी नेताओं के साथ गुरुवार को रायशुमारी करेगी. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने पार्टी के सांसदों-विधायकों और एसटी मोरचा के पदाधिकारियों की बैठक पार्टी कार्यालय में बुलायी है. बैठक में आदिवासी नेताओं के बीच मामले में एक राय बनाने की कोशिश होगी. राज्यपाल की ओर से विधेयक लौटाये जाने के बाद उत्पन्न हुई परिस्थिति को लेकर भी रणनीति बनायी जायेगी. बैठक के बाद सरकार को आदिवासी नेताओं की राय से अवगत कराया जायेगा.
गिलुवा आदिवासी नेताओं के सुझाव का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री को सौपेंगे़ इसके बाद सरकार फैसला लेगी. इस बीच पार्टी के विधायकों व एसटी मोरचा के पदाधिकारियों ने कृषि योग्य आदिवासी जमीन की प्रकृति बदलने के लिए किये गये संशोधन को रद्द करने की मांग की है. पार्टी के आदिवासी विधायकों का कहना है कि इस मुद्दे पर बहुत किरकिरी हो चुकी है. आदिवासी-मूलवासी के हित को ध्यान में रख कर संशोधन होना चाहिए. एक सर्वसम्मत राय बननी चाहिए.
कृषि भूमि की प्रकृति बदलने का प्रस्ताव रद्द हो
प्रभात खबर से बात करते हुए भाजपा अनुसूचित जनजाति मोरचा के प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक राम कुमार पाहन ने कहा है कि आदिवासियों के हित में सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन होना चाहिए. इसमें कोई ऐसा प्रावधान नहीं होना चाहिए, जिससे आदिवासी के हितों पर दूरगामी प्रभाव पड़े. राज्यपाल ने विधेयक को सरकार के पास पुनर्विचार के लिए वापस भेजा है. ऐसे में सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए. आपत्तियों पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा : आदिवासी समाज व रैयतों में कृषि भूमि की प्रकृति बदलने के प्रस्ताव पर ज्यादा नाराजगी है.
ऐसे में सरकार इस प्रस्ताव को निरस्त करते हुए आगे बढ़े. उन्होंने सरकार से संशोधन एक्ट के उस प्रस्ताव को भी स्पष्ट करने को कहा है, जिसमें सरकारी कार्यों के लिए आदिवासी व रैयतों की जमीन लेने की बात कही गयी है. कहा : संशोधन एक्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाये कि अधिग्रहित भूमि का उपयोग सिर्फ स्कूल, अस्पताल, सड़क के कार्यों के लिए किया जायेगा, दूसरे कार्यों में नहीं. राम कुमार पाहन ने सीएनटी एक्ट की धारा 71 (ए) की उप धारा दो को समाप्त करने के प्रावधान का समर्थन किया है. कहा कि इस प्रावधान के समाप्त होने के बाद से एसएआर कोर्ट से आदिवासियों की भूमि मुआवजे के आधार पर किसी को हस्तांतरित नहीं होगी.
राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री सौदान िसंह के सामने होगी बात
सीएनटी-एसपीटी के मुद्दे पर भाजपा संगठन के अंदर भी बात होगी. राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री सौदान सिंह सात जुलाई को झारखंड आ रहे हैं. वह पार्टी के नेताओं-पदाधिकारियों के साथ बात करेंगे. वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों और आगे की रणनीति पर भी चर्चा होगी. संगठन के अंदर भी इस मुद्दे पर सर्वसम्मत राय बनाने की बात होगी. सीएनटी-एसपीटी के संशोधन को नये रूप में किस तरह सदन में लाया जाये, इस पर नेताओं से सुझाव मांगे जा सकते है़ं
आजसू प्रमुख सदेश महतो ने कहासरकार साफ करे कि अब क्या करना चाहती है
आजसू पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा कि सीएनटी- एसपीटी एक्ट में संशोधन विधेयक राज्यपाल द्वारा लौटाया जाना सराहनीय कदम है़ पहले राष्ट्रपति और अब राज्यपाल द्वारा संशोधन विधेयक लौटाये जाने के बाद अब सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि कोई कदम उठाने से पहले ठंडे दिमाग से इसकी गंभीरता पर सोच ले़ं श्री महतो ने कहा कि सरकार सहयोगी दल, विपक्षी दल, जनसंगठनों के साथ संवाद कायम करे़ अब तब आधिकारिक तौर पर सरकार की ओर से कोई वक्तव्य नहीं आया है़ सरकार आगे कौन सा कदम उठाना चाहती है, इसको लेकर भ्रम कायम है़ . इसलिए राज्यहित में और जनभावना के मद्देनजर सबसे पहले सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह आगे क्या करना चाहती है़.