रांची : सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के मुद्दे पर ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) की बैठक आज खत्म हो गयी है. बैठक में सीएनटी -एसपीटी एक्ट संशोधन पर विचार किया गया है. वहीं टीएसी की अगली बैठक अब तीन अगस्त को होगी. बैठक के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि सीएनटी की धारा-21 और एसपीटी की धारा -13 के संशोधन को निरस्त करने के लिए सरकार तैयार है. सरकार की नीयत साफ है, सरकार जनहित में ही काम करेगी.
सरकार CNT/SPT पर आम सहमति की पक्षधर है। तीन अगस्त को TAC की अगली बैठक होगी। कृषि भूमि पर गैर कृषि कार्य का संशोधन प्रस्ताव वापस होगा।
— Raghubar Das (@dasraghubar) July 3, 2017
सीएनटी-एसपीटी एक्ट : रघुवर से मिले सुदेश, कहाः जल्दबाजी में फैसला न ले सरकार
उन्होंने बताया कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन के खिलाफ राज्य के विभिन्न राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन राज्यपाल के पास गये थे. राज्यपाल को राजनीतिक दलों और संगठनों ने ज्ञापन सौंपा था. सरकार ने उन सभी सुझावों का अध्ययन किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल अभिभावक स्वरूप हैं. इसलिए हम उनके सुझावों पर गौर करेंगे. उधर मुख्यमंत्री ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि विरोध सिर्फ विरोध के लिए नहीं करना चाहिए. विरोध परिष्कार और परिवर्तन के लिए होना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे कुछ विकास विरोधी मित्र सीएनटी-एसपीटी संशोधन को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं. सरकार राज्यहित में आने वाली सुझावों को खुले मन से स्वीकारती है. हम बहुमत में जरूर हैं लेकिन कुछ मुद्दों पर हम सभी की सहमति चाहते हैं. सीएम रघुवर दास ने कहा कि अंतिम निर्णय विधानसभा को लेना है. विधानसभा के पिछले सत्र में राज्य सरकार चाहती थी कि इस पर फिर चर्चा हो लेकिन विपक्ष ने गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाया. 70 वर्ष से आदिवासियों पर अरबों-खरबों रुपया खर्च कया गया है लेकिन आज भी आदिवासी गांव जाइये कोई परिवर्तन नहीं दिखेगा
सीएनटी एक्ट में धारा-21 क्या है ?
अब तक यह कानून था कि कृषियोग्य जमीन को सरकार या अन्य कोई भी अधिग्रहण नहीं कर सकता है. एक्ट के मुताबिक कृषियोग्य जमीन का इस्तेमाल गैरकृषि कार्य के लिए नहीं की जा सकती है. लेकिन इस संशोधन के बाद से लोगों में यह धारणा बन रही थी कि चाहे कृषि जमीन को गैर कृषि जमीन के रूप में दिखाकर इस्तेमाल किया जा सकता है. सरकार इसका इस्तेमाल खुद भी कर सकती है या फिर औद्योगिक घरानों को दे सकती है. सरकार ने हालांकि इस संशोधन में कहा था कि यदि पांच वर्ष तक सरकार किसी अधिगृहित जमीन का इस्तेमाल नहीं करती है तो यह जमीन मूल रैयतों के पास लौटा दी जाएगी. जमीन का मालिकाना हक मूल रैयतो के पास रहेगी.