रिम्स में वेंटिलेटर का बैकअप नहीं, जानिए किन स्थितियों में हो सकती है परेशानी

रांची: राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) के विभिन्न विभागों में लगे करीब 20 वेंटिलेटरों (जीवन रक्षक उपकरण) के लिए किसी तरह के बैकअप का इंतजाम नहीं है. इन वेंटिलेटरों पर अमूमन मरीज भरती रहते हैं. अगर किसी वेंटिलेटर का पावर केबल खराब हो गया, तो मशीन बंद हो जायेगी और मरीज की जान सांसत में पड़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2017 6:42 AM
रांची: राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) के विभिन्न विभागों में लगे करीब 20 वेंटिलेटरों (जीवन रक्षक उपकरण) के लिए किसी तरह के बैकअप का इंतजाम नहीं है. इन वेंटिलेटरों पर अमूमन मरीज भरती रहते हैं. अगर किसी वेंटिलेटर का पावर केबल खराब हो गया, तो मशीन बंद हो जायेगी और मरीज की जान सांसत में पड़ सकती है. इसके अलावा वेंटिलेटर के खराब होने का खतरा भी उत्पन्न हो जायेगा.
रिम्स के न्यूरो आइसीयू के दो विंग में कुल 12 वेंटिलेटर हैं. इनमें से एक विंग के वेंटिलेटर के बैकअप के लिए लगी बैटरी बेकार हो चुकी है. वहीं, दूसरे विंग में बैटरी बैकअप है ही नहीं. विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि एक विंग के वेंटिलेटर के लिए बैटरी बैकअप तो है, लेकिन वह भी बमुश्किल 10 से 15 मिनट ही काम करता है. जब भी बिजली कटती है, तो हमें भाग कर बिजली विभाग के कर्मचारी को बताना पड़ता है. वह आकर स्विच को बदलता है और जेनरेटर से वेंटिलेटर को कनेक्शन देता है. इसमें अगर जरा भी देरी हुई, तो वेटीलेटर बंद हो जायेगा. कर्मचारी के मुताबिक न्यूरो विंग के बैकअप के लिए लगायी गयी बैटरी तीन साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी है.

वेंटिलेटर चार, लेकिन अंबू बैग मात्र दो : रिम्स की लगभग सभी आइसीयू का यही हाल है. मेडिसिन आइसीयू में भी वेंटिलेटर के लिए बैकअप का इंतजाम नहीं है. यहां चार वेंटिलेटर हैं, लेकिन अंबू बैग (मरीज को कृत्रिम रूप से सांस देनेवाला उपकरण) मात्र दो ही हैं. अगर आइसीयू में चार मरीज वेंटिलेटर पर भरती हैं और इस दौरान बिजली चली जाती है, तो दो मरीजों को ही अंबू बैग से बचाने का प्रयास किया जा सकता है. अन्य दो मरीज राम भरोसे ही रहेंगे.
हम वेंटीलेटर सेट करने में नहीं है सक्षम : रिम्स की एक सीनियर नर्स ने बताया कि हमें वेंटिलेटर सेट करने नहीं आता है. बिजली जाने के बाद जब दोबारा बिजली आती है, तो वेंटिलेटर सेट करना पड़ता है. डाॅक्टर ही इसे सेट कर सकते हैं. आइसीयू में इसके लिए टेक्नीशियन होना चाहिए, लेकिन यहां कोई सुनता ही नहीं है.
समझिए; किन स्थितियों में हो सकती है परेशानी
रिम्स के विभिन्न वार्डों में दो केबल से बिजली की अापूर्ति होती है. एक केबल में पावर हाउस से बिजली दी जाती है. वहीं, दूसरे केबल से सोलर पावर प्लांट और जेनरेटर का कनेक्शन है. दोनों केबल एक बॉक्स में पहुंचते हैं, जहां से एक केबल के जरिये वार्ड में बिजली जाती है. अगर वार्ड में पहुंचने वाले केबल में दिक्कत आ गयी, तो इसे काफी मुश्किल हो सकती है.
सोलर पावर प्लांट और जेनरेटर से कनेक्शन देने के बाद भी वार्ड में बिजली की समस्या उत्पन्न हो सकती है. आइसीयू में बैकअप के लिए बैटरी है, लेकिन खराब है. इसकी सूचना है. बिजली विभाग के साथ बैठक की जायेगी. बैकअप के लिए लगायी गयी बैटरी को तत्काल बदला जायेगा.
डॉ आरके श्रीवास्तव, प्रभारी निदेशक, रिम्स

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