राजदीप से पहले भी तीन किसानों ने जान दी. उनकी मौत की भी वही वजह थी, जो राजदीप के जान देने की वजह है. लेकिन, किसी दल के राजनेता के पास इतना वक्त नहीं था कि वे खूंटी या पिठौरिया जाकर किसानों के परिजनों से मिल सकें. उन्हें मदद कर सकें या उसके परिजनों को ढाढस बंधवा सकें. बहरहाल, राजधानी से सटे प्रखंड में किसान ने जान दी, तो विरोधी दलों के नेताअों की तंद्रा टूटी.
झारखंड विधानसभा में विपक्षके नेता हेमंत सोरेन ने कहा है कि केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार किसान विरोधी है. किसानों के मुद्दे पर भाजपा राजनीति कर रही है. भाजपा शासन में सरकार व प्रशासन का जमीर ही मर गया है. भाजपा के कार्यकर्ता और नेता लोगों में भ्रम फैला रहे हैं. वे कहते हैं कि किसान कर्ज के बोझ की वजह से नहीं मरा है. यह पूरा सरकारी महकमा ही किसान विरोधी है. हेमंत ने कहा कि राजदीप नायक की आत्महत्या को सरकारी महकमा दबाने की कोशिश कर रहा है. झामुमो ऐसा नहीं होने देगा. उन्होंने कहा कि राजदीप नायक ने जो कर्ज लिया था, उसे माफ करवाने की कोशिश करेंगे.
वहीं, कांग्रेस नेता और भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने राजदीप नायक की पत्नी कलावती देवी को 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी. सहाय ने कहा सरकार राजदीप की मौत का संज्ञान लेने की बजाय उसकी मौत के पीछे की वजह को झूठा साबित करने में जुटी है. उन्होंने कहा कि किसान शौक से आत्महत्या नहीं करते. राजदीप के पिता विनोद नायक व भाई प्रदीप नायक ने कर्ज चुकाने के लिए बैल और बकरी बेच दी. खेत गिरवी रख दिया. यह सबके सामने है, फिर भी अधिकारी कह रहे हैं कि किसान कर्ज की वजह से नहीं, बीमारी से तंग आकर मरा है. केंद्र व राज्य सरकार किसानों की लाश पर भी राजनीति कर रही है. उन्होंने कहा कि रघुवर दास को सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है.
किसान आत्महत्या के बाद जागी झारखंड सरकार ! किसानों को 1% ब्याज पर ऋण
खिजरी के विधायक रामकुमार पाहन पूरे लाव-लश्कर के साथ विजांग गांव पहुंचे. राजदीप के परिजनों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया. पीड़ित परिवार को 50 किलो अनाज भी दिया. साथ ही आश्वासन दिया कि इंदिरा आवास और राजदीप की पत्नी को विधवा पेंशन दिलायेंगे. विधायक के साथ प्रखंड प्रमुख जयगोविंद साहू, ओरमांझी के सीओ राजेश कुमार, भाजपा के ग्रामीण जिला अध्यक्ष रणधीर चौधरी समेत कई जनप्रतिनिधि राजदीप के घर गये थे.
राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष गौतम सागर राणा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी व प्रवक्ता डॉ मनोज कुमार ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में लगातार किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं. झारखंड में 15 दिनों के अंदर ओरमांझी के दूसरे किसान राजदीप नायक की आत्महत्या दुखद है. सरकार को किसानों से कोई सरोकार नहीं है. सरकार किसानों की सुरक्षा की गारंटी ले और मृत परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा दे.
बैंक का 90 हजार का लोन चुकाने में असमर्थ था राजदीप
राजदीप के पिता विनोद नायक ने कहा कि उनके पास चार एकड़ जमीन है. इस पर दोनों बेटे प्रदीप और राजदीप खेती करते थे. इससे परिवार चलाना मुश्किल था. बाद में बेटों ने बैंक से लोन लेकर एक ट्रैक्टर खरीदी. ट्रैक्टर चला कर होनेवाली कमाई से परिवार का भरण-पोषण होता था. स्थिति इतनी अच्छी नहीं कि बैंक का 90 हजार का लोन चुका पायें. बैंकवाले बार-बार गाड़ी खींच लेने की धमकी दे रहे थे.बैंक की धमकियों से राजदीप परेशान हो गया था. 28 जून को भी बैंकवाले घर पर आये थे. कह रहे थे कि लोन नहीं चुकाया, तो गाड़ी खींच लेंगे. इसके बाद वह बेचैन हो उठा. राजदीप ने पिता से कहा था, ‘घर अब कैसे चलेगा. हम अब नहीं जी पायेंगे, मर जायेंगे. ’ और अगले ही दिन उसने कीटनाशक खा लिया. उस दिन उसने ट्रैक्टर भी नहीं निकाली. ट्रैक्टर की हवा निकाल दी, ताकि बैंकवाले उसे न ले जा सकें. राजदीप की पत्नी कलावती गांव के ही पास दैनिक मजदूरी करने गयी थी. दिन में करीब 11 बजे बकरी चराने गांव से आधा किलोमीटर दूर जंगल गये कुछ ग्रामीणों ने देखा कि राजदीप नायक अचेत पड़ा है. मुंह से झाग निकल रहा था. ग्रामीणों ने इसकी सूचना घरवालों को दी. बगल में कीटनाशक दवा पड़ी थी. उसे तुरंत मेदांता अस्पताल ले जाया गया. राजदीप जब अस्पताल में भरती था, फिर बैंकवाले घर पहुंचे. लेकिन यह पता चलने पर कि राजदीप अस्पताल में है, वे लौट गये. राजदीप के पिता ने बताया कि ब्लॉक से मनरेगा के तहत कुआं भी आवंटित करवाया, लेकिन आधे ही पैसे मिले. इससे कुअां का निर्माण पूरा नहीं हो सका और कुआं धंस गया.