सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन जनांदोलन से रद्द हुआ : चंपा

रांची : केंद्रीय सरना समिति के उपाध्यक्ष चंपा कुजूर ने कहा है कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट की धारा 21 व 13 में संशोधन निरस्त करने के बाद सरकार की भाषा बोलने वाली एक तथाकथित सरना समिति की बोली बदल गयी है, जो अब कह रही है कि सरकार ने जनभावना का ख्याल रखा. उस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 6, 2017 8:38 AM
रांची : केंद्रीय सरना समिति के उपाध्यक्ष चंपा कुजूर ने कहा है कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट की धारा 21 व 13 में संशोधन निरस्त करने के बाद सरकार की भाषा बोलने वाली एक तथाकथित सरना समिति की बोली बदल गयी है, जो अब कह रही है कि सरकार ने जनभावना का ख्याल रखा. उस समय वह इसे कानूनों का सरलीकरण बता रही थी.
उसे स्वीकार करना चाहिए कि यह जनांदोलन की जीत है.जब आदिवासी संगठनों के आंदोलन से सरकार व आदिवासी टीएसी सदस्यों को गांव घुसना बंद हो गया, आनेवाले विधानसभा चुनाव में दहाई का अंक लाना मुश्किल नजर आने लगा, तो हवा निकल गयी. यदि सरकार आदिवासियों की भावनाओं का ख्याल रखना चाहती हैं, तो आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री में थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त करे, उच्च शिक्षा, कृषि, व्यवसाय के लिए ऋण दे और पूर्व में विकास कार्यों के लिए आधग्रहित खाली पड़ी जमीन रैयत को वापस कराये.

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