7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जीएसटी इफेक्ट : ग्राहक नदारद, बाजार में सन्नाटा, कंपनियां नहीं भेज रहीं माल

कंपनियां नहीं भेज रहीं माल रांची : जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) लागू हुए पांच दिन बीत गये, लेकिन अब भी खुदरा से लेकर थोक व्यवसाय में सन्नाटा पसरा हुआ है. अपर बाजार, मेन रोड, डोरंडा सहित अन्य बाजारों में कारोबार ठप-सा पड़ गया है. एक ओर ग्राहक बाजार से नदारद हैं. दूसरी ओर स्थिति […]

कंपनियां नहीं भेज रहीं माल
रांची : जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) लागू हुए पांच दिन बीत गये, लेकिन अब भी खुदरा से लेकर थोक व्यवसाय में सन्नाटा पसरा हुआ है. अपर बाजार, मेन रोड, डोरंडा सहित अन्य बाजारों में कारोबार ठप-सा पड़ गया है. एक ओर ग्राहक बाजार से नदारद हैं.
दूसरी ओर स्थिति यह है कि हर सेक्टर में राज्य से बाहर माल आने बंद हो गये हैं. इस कारण कारोबार पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. माल नहीं आने का मुख्य कारण यह है कि कंपनियाें से ही माल नहीं मिल पा रहा है. जीएसटी के लागू हाेने के बाद राजधानी रांची के बाजारों की पड़ताल करती प्रभात खबर टोली की रिपोर्ट.
इलेक्ट्रॉनिक बाजार
पांच दिन से इलेक्ट्रॉनिक डीलरों की िबलिंग नहीं हुई
जीएसटी लागू होने के बाद इलेक्ट्रॉनिक बाजार पर इसका साफ असर दिख रहा है. प्री जीएसटी में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की जमकर बिक्री हुई. ग्राहकों पर जमकर ऑफरों अौर छूट की बरसात की गयी. लेकिन, अभी स्थिति यह है कि पिछले पांच दिनों से कई इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों ने डीलरों को बिलिंग नहीं की है.
मतलब यह कि डीलरों को मौजूदा समय में माल ही नहीं मिल पा रहा है. असर यह है कि ग्राहकों को इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के मनपसंद मॉडल नहीं मिल रहे हैं. इलेक्ट्रॉनिक विक्रेताओं को कहना है कि बिक्री घट कर आधी से भी कम हो गयी है. लगभग 40 प्रतिशत का कारोबार हो रहा है. डीलरों की मानें तो स्थिति सामान्य होने में अभी तीन से चार दिन और लगेंगे.
कपड़ा व्यवसाय
शोरूम से लेकर फुटकर दुकान तक खाली
बाजार से ग्राहक गायब हैं. कपड़ा व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा है. आम दिनों में अपर बाजार के विभिन्न गलियों में प्रवेश करना मुश्किल होता था, लेकिन मौजूदा समय में इन जगहों पर सन्नाटा छाया हुआ है. लगभग 15 दिनों से बाहर से माल आने बंद हो गये हैं.
सूरत, दिल्ली, जयपुर, मुंबई, अहमदाबाद सहित अन्य राज्यों से माल की सप्लाई न के बराबर है. सूरत में हुए लाठीचार्ज के विरोध में देश की अधिकांश कपड़े की उत्पादक मंडियां पहले से ही बंद हैं. इस कारण परेशानी और बढ़ गयी है.
इसलिए हो रही परेशानी : कारोबारियों का कहना है कि कुल कारोबार मात्र 10 प्रतिशत पर सिमट कर रह गया है. टेंप्ररी रजिस्ट्रेशन के कारण बाहर से माल नहीं मिल पा रहा है.
ट्रांसपोर्ट और कुरियर वाले माल नहीं ला रहे हैं. इस कारण माल आना बंद हो गया है. बाजार में कई खुदरा व्यापारियों को थोक व्यापारी माल नहीं उपलब्ध करा पा रहे हैं. दुकानों से वे निराश लौट रहे हैं. झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ के अध्यक्ष प्रवीण लोहिया कहते हैं कि एचएसएन कोड नहीं मिलने से माल की बिक्री नहीं कर पा रहे हैं. अभी थोक बाजार में स्टॉक पर ही मंथन चल रहा है. रांची में सामान्य दिनों में हर दिन थोक बाजार में लगभग 10 करोड़ रुपये का कारोबार होता था. अभी कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ गया है. असर यह है कि दिहाड़ी मजदूर, ठेला वाले सहित अन्य को काम मिलना बंद हो गया है.
ट्रांसपोर्ट व्यवसाय
बमुश्किल 50 ट्रक ही माल पहुंच रहा है राजधानी में
वर्तमान में ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय भी ठप पड़ा हुआ है. आम दिनों में रांची में हर दिन 150-200 ट्रक रांची में आते और जाते थे. इस समय मुश्किल से 50 ट्रक पहुंच पा रहे हैं. स्थिति यह है कि न तो ट्रांसपोर्टर माल बुक रहे हैं और न व्यापारी कहीं माल भेज रहे हैं.
यह हो रही परेशानी : रांची गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पवन शर्मा ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद माल को कैसे बुक करना है. कहां-कहां परमिट की जरूरत है. क्या-क्या कागजात की जरूरत है. यह सही तरीके से पता नहीं चल रहा है. इस कारण ट्रांसपोर्टर बुकिंग नहीं कर रहे हैं. नयी दिल्ली से 20 जून से माल आने बंद हो गये हैं. ट्रांसपोर्ट व्यवसाय ठप हो गया है. अभी भी कई सारी दुविधाएं हैं. इस कारण परेशानी हो रही है.
कई जरूरी दवाएं भी नहीं मिल रहीं
जीएसटी के पहले ही कई ब्रांडेड दवाएं मिलने में परेशानी हो रही थी. अभी भी यही स्थिति बनी हुई है. खास कर बीपी, शुगर, हार्ट की दवाएं मिलने में परेशानी हो रही है. दवाएं नहीं मिलने से खास कर वैसे मरीज परेशान हैं, जो लंबे समय से बीपी, शुगर व हार्ट की दवाएं खा रहे हैं.
कई दवा दुकानदार यह भी कह रहे हैं कि दवा मिलने में देरी होगी, अपने डॉक्टर से दवा चेंज करा लें. सत्यम मेडिकल हॉल के रवि कुमार ने कहा कि कई ऐसी दवाएं हैं, जो नहीं मिल रही है. ग्राहकों को लौटाना पड़ रहा है. अभी स्थिति यह हो गयी है कि एक लाख रुपये से अधिक का दवाओं का ऑर्डर मेरे पास है, लेकिन दवाएं नहीं मिल रही हैं. हर दिन थोक बाजार में जाने पर एक ही जवाब मिल रहा है, अभी दवाएं नहीं हैं.
ऑटोमोबाइल सेक्टर
मिड सेग्मेंट के वाहनों में लग रहा 43% तक टैक्स
रांची : जीएसटी के प्रभावी होने से ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिक्री थोड़ी धीमी हुई है. अब भी ऑटोमाेबाइल सेक्टर से जुड़े वितरक जीएसटी के प्रभाव का आकलन करने में ही जुड़े हैं. हां! यह जरूर है कि 2000 सीसी से अधिक क्षमतावाले वाहनों (मल्टी यूटिलिटी वेहिकल) के मूल्य 1.50 लाख रुपये तक कम हुए हैं. जून में जितनी बिक्री राजधानी में मारुति, हुंडई, टाइटन निसान, ऑडी, टोयोटा, टाटा मोटर्स, महिंद्रा और अन्य वाहनों के वितरकों ने की थी, वह अभी थम सी गयी है.
मारुति सुजुकी के अधिकृत विक्रेता सुधा मोटर्स के राहुल सिंह ने बताया कि चार मीटर से कम के वाहनों में जीएसटी का कोई खास फर्क नहीं पड़ा है. 1400 सीसी तक के पेट्रोल वर्सन गाड़ियों में जीएसटी की दर 29 प्रतिशत पड़ रही है, जबकि डीजल मॉडलों में यह 32 फीसदी तक पहुंच गयी है.
वहीं 1500 सीसी से लेकर 2000 सीसी तक जीएसटी की दर 43 फीसदी तक हो गयी है. डीजल और पेट्रोल वर्सन में दो से तीन फीसदी का अंतर भी है. उन्होंने बताया कि मूल्यों में कहीं कोई खास कमी नहीं देखी जा रही है. 1000 से दो हजार रुपये का फर्क जीएसटी के बाद पड़ा है.
मारुति के सियाज और अर्टिगा के डीजल मॉडलों की कीमतें एक लाख रुपये तक बढ़ गयी हैं. आॅडी के मनीष ने बताया कि मार्केट में हाइप अभी भी बरकरार है. अभी लोग मूल्य के बारे में ही अधिक पूछताछ कर रहे हैं. चार प्रतिशत तक मॉडलों के अनुसार मूल्य कम हुए हैं. राहुल ऑटो के अरुण ने बताया कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में चार पहिया वाहनों की कीमतें जीएसटी के बाद 25 हजार रुपये से 1.50 लाख तक कम हुई हैं.
फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स
पुराने स्टॉक को क्लियर करने में जुटे हैं दुकानदार
रांची : फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) के अधिकतर उत्पादों के जीएसटी के दायरे में आने से कीमतें महंगी हो गयी हैं. एफएमसीजी से जुड़ी प्राक्टर एंड गैंबल, ग्लैक्सो स्मीथक्लाइम, इमामी, डाबर समेत अन्य कंपनियों ने जीएसटी के प्रभावी होने से आयुर्वेदिक मेडिसीन, सौंदर्य प्रसाधन, टूथ पेस्ट, शैंपू, हेयर ऑयल, मधु और अन्य चीजों में कर बढ़ा दिया है.
सूत्रों की मानें, तो अभी भी जीएसटी निबंधन को लेकर कई तरह की परेशानियां हो रही हैं. कंपनियां पुराने स्टॉक को क्लियर करने में ही जुटी हुई हैं. अभी नये स्टॉक वितरकों के जरिये रीटेलरों तक नहीं पहुंचे हैं. बताया जा रहा है कि कंपनियों ने बाजार में बने रहने के लिए अपने बेस प्राइस (कीमत) को कम कर दिया है, ताकि महंगाई का असर ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंच पाये. कंपनियां अपने स्टॉकिस्टों को ही अभी अपना उत्पाद दे रही हैं. जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में जून 2017 में बड़ी-बड़ी कंपनियों की बिक्री 50% से कम रही है.
शैंपू, टूथ पेस्ट, सौंदर्य प्रसाधन पर 28 फीसदी टैक्स : बाजार में शैंपू, टूथ पेस्ट, सौंदर्य प्रसाधन पर जीएसटी की दर 28 फीसदी तक हो गयी है. पहले इन पर 14.5 प्रतिशत तक कर लगता था.
हेयर ऑयल पर अब 18 प्रतिशत, मधु पर पांच प्रतिशत, सभी प्रकार की दवाओं पर 12.5 प्रतिशत कर अब उपभोक्ताओं से वसूला जायेगा. इन वस्तुओं की बिक्री के लिए अब कंपनियां आकर्षक छूट भी दे रही हैं. कंपनियां यह भी ध्यान रख रही हैं कि उत्पादों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर ज्यादा असर नहीं पड़े. कंपनियों की नयी खेप बाजार में पहुंचने पर ही इसका सही विश्लेषण भी हो पायेगा. व्यापारियों में अब भी जीएसटी को लेकर कई तरह की भ्रांतियां मौजूद हैं.
जीएसटी लागू होने के बाद दुकानदारों और खरीदारों की प्रतिक्रिया
जीएसटी लागू हाेने के बाद इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की कीमतें पहले की अपेक्षा बढ़ गयी हैं. शोरूम खरीदारों की संख्या भी कम हुई है. संभवत: अगले एक माह तक हालात एेसे ही रहेंगे.
दीपक गुप्ता
जीएसटी लागू होने के बावजूद बिजली के कुछ सामान पुरानी दरों पर मिल रहे हैं, जबकि कुछ सामान के दाम बढ़ गये हैं. जैसे-जैसे नया स्टॉक मार्केट में आयेगा, तसवीर और साफ होती जायेगी.
छोटे
जीएसटी लागू होने के पहले सोने-चांदी के आभूषणों पर एक प्रतिशत टैक्स लग रहा था, जो अब तीन प्रतिशत हो गया है. दुकान को देखकर लगा रहा है कि लोगों की आवाजाही भी कम हुई है.
मोहित कुमार
फिलहाल ऑटो पार्ट्स की दरों में किसी तरह का बदलाव देखने को नहीं मिला है. पुरानी दर पर ही सामान मिल रहा है. नया सामान आने के बाद ही पता चलेगा कि दाम में कितना बढ़ोतरी हुई है.
संजय गुप्ता
विज्ञापन एजेंसियों को दी गयी जीएसटी की जानकारी
रांची : प्रभात खबर ने बुधवार को होटल मैपलवुड में रांची व जमशेदपुर की विज्ञापन एजेंसी व क्लासीफाइड सेंटरों के लिए गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) पर कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यशाला में सीए रमण खाटूवाला ने जीएसटी के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी. प्रिंट मीडिया में जीएसटी का क्या प्रभाव होगा व किस तरह इसे प्रभावी रूप से लागू किया जाये, इस पर चर्चा की गयी.
इसके पूर्व प्रभात खबर के एमडी केके गोयनका ने स्वागत भाषण दिया. उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू हो गया है. इस कारण कई बदलाव आये हैं. हमारे चैनल पार्टनर को जीएसटी को लेकर कोई परेशानी न आये और वे अपना काम सुचारु रूप से कर सकें, इसी को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया है.
मौके पर प्रभात खबर के कार्यकारी निदेशक आरके दत्ता, बिजनेस हेड विजय बहादुर व विज्ञापन प्रबंधक राजीव मंडल के अलावा जमशेदपुर के विकास एडवरटाइजर्स, डिजाइन जंक्शन, विमला कम्यूनिकेशन, वाया एडवरटाइजिंग व रांची के एएनएम कम्यूनिकेशन, गंधारा कंसल्टेंट, पोद्दार एसोसिएट्स, कन्क्वेस्ट क्रियेशंस गुरुग्रेसिया, एडवरटाइजमेंट सॉल्यूशन व क्लासीफाइड एजेंसी के लोग मौजूद थे. एजेंसी के लोगों ने प्रभात खबर की सराहना की. कहा कि किसी भी मीडिया संस्थान द्वारा यह पहला प्रयास है. संचालन प्रभात खबर के फाइनेंस हेड आलोक पोद्दार ने किया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें