मंत्री, अधिकारी का आदेश ताक पर, नहीं हो रही सफाई
शहर में फैली है गंदगी. सुबह सात बजे तक शहर को चकाचक करने का था आदेश, यहां दिन भर फैला रहता है कचरा राजधानी की सफाई-व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए रांची नगर निगम की ओर से किया जा रहा हर प्रयास नाकाम साबित हो रहा है. डिबार किये जाने के बाद न तो रांची […]
शहर में फैली है गंदगी. सुबह सात बजे तक शहर को चकाचक करने का था आदेश, यहां दिन भर फैला रहता है कचरा
राजधानी की सफाई-व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए रांची नगर निगम की ओर से किया जा रहा हर प्रयास नाकाम साबित हो रहा है. डिबार किये जाने के बाद न तो रांची एमएसडब्ल्यू की कार्य प्रणाली सुधरी है और नहीं नगर निगम के सुपरवाइजर नगर आयुक्त का आदेश मानने को तैयार हैं. नगर विकास मंत्री भी इससे पहले इस मुद्दे पर चेतावनी दे चुके हैं, लेकिन राजधानी की सड़कें और गलियां अब भी गंदगी से पटी हुई हैं.
रांची : नगर आयुक्त शांतनु अग्रहरि ने तीन दिन पहले ही निगम के सुपरवाइजरों और सिटी मैनेजरों को आदेश दिया था कि वे सुबह सात बजे तक शहर की सभी सड़कों को चकाचक करायें, लेकिन इस आदेश का कोई असर गुरुवार को नहीं दिखा. सुबह सात बजे की कौन कहे, दोपहर दो बजे तक सड़कों से कचरा नहीं उठाया गया था.
फिलहाल, बारिश का मौसम चल रहा है. ऐसे में शहर की सड़कों के किनारे पड़े कचरे के ढेर और गंदगी से बजबजाती नालियाें ने शहर के लोगों को जीना दूभर कर रखा है. शहर में कई ऐसे प्रमुख जगह हैं, जहां कचरे का अंबार लगा रहता है, लेकिन निगम के सफाई कर्मचारी नियमित कचरा नहीं उठाते हैं.
बारिश की वजह से कचरे से दुर्गंध उठने लगती है, जिससे आसपास के लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. वहां से गुजरने वालों को भी नाक पर रूमाल रख कर चलना पड़ता है. रही-सही कसर आवारा जानवर पूरी कर देते हैं, जो कचरे ढेर पर दिन भर मंडराते रहे हैं. इन आवारा जानवरों की वजह से कचरा सड़क पर बिखर जाता है. साथ ही आवारा पशुओं की वजह से सड़कों पर हादसों का खतरा भी बढ़ जाता है.
निगम और कंपनी के बीच झूल रही शहर की सफाई व्यवस्था : राजधानी की सफाई व्यवस्था रांची नगर निगम और रांची एमएसडब्ल्यू के बीच झूल रही है. दरअसल शहर की सफाई व्यवस्था दो भागों में बंटी हुई है. पहला हिस्सा वह है, जिसके तहत रांची एमएसडब्ल्यू शहर के 21 वार्डों की सफाई करती है.
वहीं, दूसरा हिस्सा वह है, जिसके तहत शेष 34 वार्डों की सफाई व्यवस्था खुद रांची नगर निगम संभालता है. हालांकि, दोनों ही अपनी जिम्मेवारी सही तरीके से नहीं निभा पा रहे हैं. इसी का नतीजा रहा कि केंद्र सरकार द्वारा करायी गयी स्वच्छ सर्वेक्षण प्रतियोगिता-2017 में राजधानी रांची को पूरे देश में 117वां स्थान मिला. शहरवासी इसके लिए रांची नगर निगम के पदाधिकारियों व अधिकारियों तथा रांची एमएसडब्ल्यू की ढुलमुल कार्यप्रणाली जिम्मेवार मानते हैं. अगर कंपनी द्वारा तय समय पर सभी 55 वार्डों में सफाई का काम शुरू कर दिया गया होता, तो शहर को स्वच्छ सर्वेक्षण में अच्छा स्थान मिल सकता था. जबकि कंपनी की वजह से सब गुड़-गोबर हो गया.
एस्सेल इंफ्रा को डिबार कर चुके हैं नगर आयुक्त
एस्सेल इंफ्रा, रांची नगर निगम के साथ ज्वाइंट वेंचर के तहत ‘रांची एमएसडब्ल्यू’ के नाम से शहर की सफाई व्यवस्था का काम देख रही है. तीन दिन पहले शहर की सफाई-व्यवस्था से नाराज होकर नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने एस्सेल इंफ्रा को डिबार करने का आदेश दिया था.
बुधवार को नगर आयुक्त ने कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में उन्होंने कहा कि बार-बार की चेतावनी के बावजूद कंपनी ने शहर की सफाई-व्यवस्था में सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया, जिसकी वजह से कंपनी को डिबार किया जा रहा है.
एस्सेल इंफ्रो ने दो अक्तूबर 2016 को शहर की सफाई व्यवस्था अपने हाथ में ली थी. उस समय कंपनी ने दावा किया था कि वर्ष 2017 के प्रारंभ तक शहर के सभी 55 वार्डों में सफाई का कार्य शुरू हो जायेगा, लेकिन पिछले नौ माह में कंपनी केवल 21 वार्डों में ही सफाई का काम शुरू कर पायी है. कंपनी जिन वार्डों में सफाई कर रही थी. उन वार्डों की सफाई व्यवस्था का भी हाल बुरा था.