इसके पहले प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा. मालूम हो कि शराब के व्यवसाय के लिए मैनपावर की तलाश में कॉरपोरेशन ने दो बार टेंडर निकाला. पहली बार आवेदकों ने जीरो सर्विस टैक्स पर काम करने की इच्छा जतायी थी. जिसे अव्यावहारिक मानते हुए कॉरपोरेशन ने टेंडर स्थगित कर दोबारा निकाला. कॉरपोरेशन के इस निर्णय के विरुद्ध आवेदकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इधर, कॉरपोरेशन ने दोबारा टेंडर निकाल कर फाइनल कर दिया है.
चयनित मैनपावर सप्लाई करनेवाली कंपनियों को वर्क ऑर्डर देने की तैयारी की जा रही थी. इसी दौरान न्यायालय ने यथास्थिति बहाल रखने का निर्देश दे दिया. अब काेर्ट का फैसला होने तक चयनित कंपनियों को वर्क ऑर्डर नहीं दिया जा सकेगा. ऐसे में एक अगस्त से सरकार द्वारा शराब का खुदरा व्यवसाय करना संभव नहीं नजर आ रहा है. संभव है कि वर्तमान लाइसेंस धारियों को फिर से अवधि विस्तार दिया जाये.