झालको को मिले 140 करोड़ 60 करोड़ का हिसाब ही नहीं
रांची: राज्य गठन के बाद झारखंड में झालको का निर्माण हुआ था. झालको को इसके बाद करीब 140 करोड़ रुपये का काम मिला, इसमें 60 करोड़ रुपये का लाभांश झालको को नहीं मिल पाया है. झालको कर्मियों को लाभांश की राशि से ही वेतन देने का प्रावधान है. अब तक लाभांश के रूप में करीब […]
रांची: राज्य गठन के बाद झारखंड में झालको का निर्माण हुआ था. झालको को इसके बाद करीब 140 करोड़ रुपये का काम मिला, इसमें 60 करोड़ रुपये का लाभांश झालको को नहीं मिल पाया है. झालको कर्मियों को लाभांश की राशि से ही वेतन देने का प्रावधान है. अब तक लाभांश के रूप में करीब नौ करोड़ रुपये ही झालको को मिल पाया है.
बताया जाता है कि 60 करोड़ रुपये इंजीनियरों या अधिकारियों ने काम कराने के नाम पर एडवांस निकाल लिया है. इस कारण इसका अंतिम हिसाब-किताब नहीं हो पाया है. अंतिम हिसाब-किताब नहीं हो पाने के कारण कर्मियों के वेतन मद में आनेवाले लाभांश का हिस्सा नहीं मिल पाया है. झालको को काम के बदले लाभांश के रूप में 10 फीसदी लेना है. इसी से स्थापना और वेतन मद में राशि खर्च होनी है.
कर्मियों को नहीं मिलती है कोई सुविधा : झालको में काम करनेवाले कर्मियों को कोई सुविधा नहीं मिलती है. चालू वित्तीय वर्ष का अप्रैल से जुलाई माह तक का वेतन बकाया है. 2011-12 का वेतन भी कर्मियों को नहीं मिला है. कर्मियों को सातवें और छठे वेतन का लाभ नहीं मिल रहा है. लीव इनकैशमेंट व ग्रेच्युटी की सुविधा नहीं मिल रही है. बिहार से आने के बाद सात वर्षों का वेतन नहीं मिला है. झालको गठन के समय कर्मियों की संख्या 303 थी. यह घट कर 122 हो गयी है. झालको का सृजित पद 214 है. सेवानिवृत्त होनेवाले कर्मियों को कोई सामाजिक सुविधा नहीं दी जाती है.
उच्चस्तरीय कमेटी की बैठक आज
झालको कर्मियों के आंदोलन के बाद कर्मियों की मांगों पर विचार करने के लिए विभागीय सचिव सुखदेव सिंह ने उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया था. इसकी बैठक बुधवार को हो रही है. कमेटी को कर्मियों के छठे पुनरीक्षित वेतनमान, एसीपी-एमएसीपी व अन्य सुविधाओं पर विचार करना है. कमेटी की अध्यक्षता जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख-2 करेंगे. प्रबंध निदेशक झालको सदस्य सचिव हैं. मुख्य अभियंता योजना एवं मॉनिटरिंग, मुख्य अभियंता लघु सिंचाई, आंतरिक वित्तीय सलाहकार, जल संसाधन विभाग के संयुक्त सचिव सदस्य बनाये गये हैं.