सचिव की मनाही के बाद भी भवन गिराने पहुंचा ठेकेदार

रांची : होटवार में पशुपालन विभाग की 25 एकड़ जमीन को टेक्सटाइल पार्क बनाने वाली एक कंपनी को दिया गया है. इसमें पशुपालन विभाग के प्रशिक्षण केंद्र का कुछ हिस्सा भी आता है. प्रशिक्षण केंद्र के महिला हॉस्टल को नहीं गिराने संबंधी पत्र एक माह पूर्व विभाग की सचिव पूजा सिंघल ने आरआरडीए के सचिव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2017 7:07 AM
रांची : होटवार में पशुपालन विभाग की 25 एकड़ जमीन को टेक्सटाइल पार्क बनाने वाली एक कंपनी को दिया गया है. इसमें पशुपालन विभाग के प्रशिक्षण केंद्र का कुछ हिस्सा भी आता है. प्रशिक्षण केंद्र के महिला हॉस्टल को नहीं गिराने संबंधी पत्र एक माह पूर्व विभाग की सचिव पूजा सिंघल ने आरआरडीए के सचिव को लिखा था. इसके बावजूद टेक्सटाइल पार्क के निर्माण को लेकर काम करा रहे ठेकेदार मंगलवार को महिला हॉस्टल की नापी करने पहुंच गये. उसके बगल की चहारदीवारी गिरा दी गयी है.

इसकी सूचना मिलने के बाद झारखंड स्टेट इंप्लीमेंटिंग एजेंसी फॉर कैटल एंड वुफैलो डेवलपमेंट (जेएसआइए) के कर्मी और अधिकारी वहां पहुंचे. अधिकारियों ने निर्माण कार्य में लगे कर्मियों को काम करने से मना किया. साथ ही सचिव पूजा सिंघल का पत्र भी दिखाया. वहीं निर्माण कार्य करा रहे लोगों का कहना था कि हमलोगों को उद्योग विभाग से आदेश मिला है. ज्ञात हो कि इससे पूर्व वहां बने कई भवनों को नापी के बाद गिरा दिया गया है़ .

कई तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलता है संस्थान में
जेएसआइए भारत सरकार की एजेंसी है. इस संस्थान के संचालन के लिए भारत सरकार पैसा देती है. सभी राज्यों में इस तरह की एजेंसी है. राज्य सरकार ने एजेंसी के संचालन के लिए भारत सरकार की इस संस्था को जमीन दी है. यहां पारा वेट और कृत्रिम गर्भाधान करने वालों को प्रशिक्षण दिया जाता है. पिछले वित्तीय वर्ष में करीब 800 निजी और सरकारी कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है. यहीं पर मुर्रा नस्ल की देसी भैंस के नस्ल सुधार का कार्यक्रम चलता है. बछड़ा वितरण का काम भी होता है.
कई संस्थान बन गये पशुपालन विभाग की जमीन पर
होटवार में पशुपालन विभाग के पास करीब 650 एकड़ जमीन थी. राज्य गठन के बाद यहां की जमीन जेल, एनडीडीबी, खेलगांव, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स निर्माण व फीड फैक्टरी में चली गयी है. खेलगांव के निर्माण के लिए कैबिनेट का अनुमोदन लिया गया था. उस वक्त पशुपालन विभाग के सचिव ने इसी शर्त पर जमीन दी थी कि भविष्य में विभाग से और जमीन नहीं ली जायेगी.

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