रांची : कहते हैं कि एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है. उसी तरह एक भ्रष्ट अधिकारी पूरे विभाग को भ्रष्ट बना देता है. यदि वह अधिकारी शीर्ष पर बैठा हो, तो विभाग में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना ही मुश्किल हो जाता है. काला धन को सफेद करने के आरोपों में गिरफ्तार रांची के प्रधान आयकर आयुक्त तापस कुमार दत्त ऐसे ही अधिकारी हैं, जिन्होंने रांची आयकर विभाग की वर्षों की मेहनत के बाद बनी साख को बट्टा लगाया है.
रांची के आयकर अधिकारियों ने काफी मेहनत करके अपनी साख बनायी थी. केंद्र सरकार ने भी रांची आयकर विभाग की तारीफ की थी. अधिकारियों की मानें, तो नवंबर, 2016 में नोटबंदी के बाद आयकर विभाग रांची की टीम को बेहतर काम के लिए केंद्र की ओर से पुरस्कृत किया गया था. असेसटमेंट करनेवाली टीम, जो अब सीबीआई जांच के घेरे में है, उसके काम की भी तारीफ हुई थी.
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लेकिन, सरकार से मोटी तनख्वाह मिलने के बावजूद पैसे कमाने की तापस कुमार दत्त की लालच ने उस विभाग के अफसरों को भी भ्रष्ट बना दिया. तापस दत्त के दबाव में या पैसे की लालच में ही तीन अन्य अफसर अरविंद कुमार, रंजीत कुमार लाल और सुबीर गांगुली भी घूसखोर बन गये. गलत असेसमेंट करने लगे और इसका नतीजा सबके सामने है.
ऐसा भी नहीं है कि इन लोगों पर लगे आरोप गलत हैं. सीबीआइ की जांच में प्रथम दृष्टया इन लोगों पर लगे आरोप सही पाये गये हैं. तापस और तीन अन्य अफसरों ने पैसे लेकर जिन मुखौटा कंपनियों को लाभ पहुंचाया, उससे जुड़ी फाइलों की जांच सीबीआइ पहले ही शुरू कर चुकी है.
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इस मामले में आरोपी बनाये गये प्रधान आयकर आयुक्त तापस कुमार दत्ता समेत चार सरकारी सेवकों और सात व्यवसायियों पर मनी लांडरिंग और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज भी दर्ज हो सकता है. इस दिशा में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी भी सक्रिय हो गये हैं. वे अलग से इस मामले की अलग से जांच कर सकते हैं.