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“तीन पुलिसकर्मियों के जिम्मे 24 घंटे थाना छोड़ देते हैं, आत्महत्या नहीं करेगा तो क्या करेगा”

रांची : एक महीने के अंदर रांची में तीन जवानों ने आत्महत्या की है. लिहाजा पुलिसकर्मियों का आक्रोश बढ़ गया है. कई लोग ड्यूटी के दौरान तनाव व पुलिस विभाग में अव्यवस्था को इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं. ज्ञात हो किरांची के बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम में रांची पुलिस के एक […]

रांची : एक महीने के अंदर रांची में तीन जवानों ने आत्महत्या की है. लिहाजा पुलिसकर्मियों का आक्रोश बढ़ गया है. कई लोग ड्यूटी के दौरान तनाव व पुलिस विभाग में अव्यवस्था को इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं. ज्ञात हो किरांची के बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम में रांची पुलिस के एक जवान ने एक जुलाई को आत्महत्या कर ली थी और आज पिठोरिया थाने में एक जवान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.प्रभात खबर डॉट कॉम के पंकज पाठक और पवन सिंह राठौर ने पुलिसकर्मियों के मुद्दे को लेकर पुलिस मेंस मेंस एसोसिएशऩ के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार से बात की.

पुलिसकर्मियों की तकलीफों को बयां करते हुए नरेंद्र कुमार ने प्रभात खबर डॉट कॉम को जो कुछ भी बताया, वो हैरान करने वाली बातें थी. उन्होंने बताया कि जिस थाने का जवान आत्महत्या किया है. वह पिठोरिया थाना है. जहां तीन पुलिसकर्मियों के जिम्मे पूरा थाना छोड़ दिया गया . थाना कोई दुकान तो नहीं, जिसे आठ घंटे खोल कर बंद कर दिया जाये. लोग थाने पर 24 घंटे ड्यूटी करते हैं. यह वही थाना है ,जहां नक्सलियों ने चार पुलिसकर्मियों को मार कर हथियार लूट लिया था, उसी थाने को तीन पुलिसकर्मियों के जिम्मे थाना छोड़ दिया गया है. थाने में गाड़ी की हालत यह है कि चलाने के लिए ठेलना पड़ता है.
नरेंद्र कुमार पुलिसकर्मी की कठिनाइयों की बात करते हुए कहते हैं किकोई कितना ड्यूटी करेगा, ऊपर अफसरों का दबाव और परिवारिक दायित्वों के बीच जवानों की जिंदगी कठिन हो जाती है. तीन महीने से थाने में चिट्ठी लिखकर थक चुका था कि दूसरा ड्राइवर बहाल कीजिए, लेकिन कभी सुना नहीं गया. पुलिस विभाग में व्यापत अव्यवस्था को लेकर एसोसिएशऩ का कहना है कि कुक की बहाली थाने के लिए की जाती है, पुलिस अधिकारी उनकी सेवा घर में लेते हैं. थाना में वह प्राइवेट कुक को पैसा देकर खाना बनवाते हैं. वहां भी खाना सही नहीं बनता है. हालत बेहद खराब है और दुख की बात यह कि सबकुछ अव्यवस्था की वजह से हो रहा है. ऐसी बात नहीं कि पुलिसकर्मियों की कमी है, लगातार पुलिस कर्मी की बहाली हो रही है.
थाने में पुलिस नहीं, बार्डीगार्ड रखते हैं पुलिस अधिकारी
नरेंद्र कुमार ने बताया कि थाने में पुलिस की कमी है और एसपी-डीएसपी अपने घर में उनकी तैनाती कर देते हैं. अधिकारी, जवानों का उपयोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने में करते हैं. पुलिस मैनुअल के तहत एसपी को मात्र एक अंगरक्षक रखने का अधिकार है लेकिन हर जगह दस से बारह पुलिसकर्मियों को अंगरक्षक के रूप में उपयोग किया जाता है. पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार ने कहा कि अगर पंद्रह दिनों के अंदर सरकार इस पर कोई फैसला नहीं लेती है तो मैं आमरण अनशन करूंगा.

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