तैयारी: नगर विकास व आवास विभाग बना रहा नीति, अवैध मकान होंगे वैध, हर घर का डाटा होगा इकट्ठा

रांची: शहरी क्षेत्रों में अवैध रूप से निर्मित भवनों को नियमित किया जायेगा. नगर विकास व आवास विभाग इसके लिए नीति तैयार कर रहा है. नीति तैयार करने के पूर्व ऐसे सभी मकानों का डाटा इकट्ठा किया जायेगा, जिनका नक्शा किसी सक्षम प्राधिकार से पास नहीं है. विभाग ने आम सूचना जारी कर लोगों से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2017 7:35 AM
रांची: शहरी क्षेत्रों में अवैध रूप से निर्मित भवनों को नियमित किया जायेगा. नगर विकास व आवास विभाग इसके लिए नीति तैयार कर रहा है. नीति तैयार करने के पूर्व ऐसे सभी मकानों का डाटा इकट्ठा किया जायेगा, जिनका नक्शा किसी सक्षम प्राधिकार से पास नहीं है. विभाग ने आम सूचना जारी कर लोगों से ऐसे भवनों का ब्याेरा मांगा है.
नगर विकास विभाग ने जारी की है आम सूचना : नगर विकास विभाग के सुडा निदेशक राजेश कुमार शर्मा की ओर से जारी आम सूचना में कहा गया है कि राज्य के शहरी निकायों/प्राधिकारों के नियंत्रण क्षेत्र में पाया गया है कि कुछ भवनों के निर्माण से पूर्व किसी सक्षम प्राधिकार से इसका नक्शा स्वीकृत नहीं कराया गया. इस प्रकार के निर्माण से संबंधित भवनों के अधिवासी काे पर्यावरण संबंधी समस्या के साथ जान-माल का खतरा भी सदैव बना रहता है. इस क्रम में निकाय/प्राधिकार को राजस्व की हानि के साथ-साथ नगरीय आधारभूत संरचना के अधिष्ठापन में काफी समस्याएं आती हैं.
निकायों में देना होगा विवरण
विभाग की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि भवन मालिक निर्धारित प्रपत्र को भर कर 15 अगस्त तक मकान का ब्योरा पहले निकायों में जमा करें. ऐसा नहीं करने पर भवन के स्वामी प्रस्तावित नियमितीकरण व्यवस्था के लाभ से वंचित रह जायेंगे.
क्या देना है विवरणी
आवेदक का नाम, पता, जमीन स्वामित्व का प्रकार( रैयती, खरीदारी अथवा लीज), दाखिल/खारिज/नामांतरण हुआ अथवा नहीं, मालगुजारी रसीद कटता है अथवा नहीं, भूखंड की लंबाई एवं चौड़ाई, भवन की ऊंचाई(जी प्लस वन, टू, थ्री), उपलब्ध सेटबैक(आगे, पीछे, बायें, दायें), होल्डिंग टैक्स लगता है अथवा नहीं, भवन का उपयोग आवासीय अथवा व्यवसायिक अथवा दोनों.
पूर्व में भी नियमितीकरण का किया गया था प्रयास
विभाग की ओर से कहा गया है कि पूर्व में शहरी क्षेत्र में किये गये अनधिकृत/विचलित निर्माण को कंपाउंडिंग शुल्क के माध्यम से नियमित करने के लिए झारखंड अधिनियम 2012 गठित किया गया था. पर तकनीकी कारणों से इसके बेहतर परिणाम नहीं मिले. इसके बाद से सरकार के स्तर पर यह विषय विचाराधीन है कि नियमानुसार एक ऐसी व्यवस्था स्थापित की जाये, ताकि शहरी क्षेत्रों में अनधिकृत रूप से निर्मित भवनों को नियमित किया जा सके. इसके लिए सरकार पहले ऐसे भवनों के आंकड़े एकत्रित कर उनकी तकनीकी, सामाजिक व आर्थिक पहलुओं का अध्ययन करेगी. इसके बाद नीति बना कर ऐसे भवनों काे नियमित किया जायेगा. हालांकि सूत्रों ने बताया कि इसी क्रम में अवैध रूप से बसी कॉलोनियों को भी नियमित करने की नीति भी बनायी जायेगी.

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