रांची: राज्य सरकार बालू घाटों को पूर्व की तरह मुफ्त करने पर विचार कर रही है. बालू की बढ़ती कालाबाजारी के कारण सरकार इसे ठेका प्रथा से मुक्त करना चाहती है. प्रदेश भाजपा के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री रघुवर दास सहमत हैं. उन्होंने मुख्य सचिव को प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है कि कैसे बालू घाटों पर ग्राम सभा व पंचायतों को अधिकार दिया जाये. पूछे जाने पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा, विचार-विमर्श चल रहा है. सबकी राय ली जा रही है. इसके बाद अंतिम रूप से फैसला लिया जायेगा. वहीं, खान आयुक्त अबु बकर सिद्दीख बताते हैं, दूसरे राज्यों से बालू उठाव व वितरण की जानकारी ली जा रही है. इसके बाद नीति बनेगी. सरकार से जो दिशा-निर्देश मिलेगा, उसके अनुरूप काम किया जायेगा.
भाजपा में हो रही थी मांग
पिछले दिनों प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने जनता को हो रही परेशानी पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री से बालू उठाव व वितरण को ठेकेदारी प्रथा से मुक्त कर पंचायत को सौंपने का आग्रह किया था. कहा था कि हेमंत सरकार की भूल का दुष्परिणाम जनता भुगतने को विवश है. इस समस्या को शीघ्र दूर कर बालू को सुलभ व सस्ता बनाये जाने की जरूरत है.
भाजपा के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश ने भी कहा था कि बालू राज्य में आज गंभीर विषय बन गया है. इसकी कीमतों में भारी वृद्धि से सरकारी योजनाओं पर असर पड़ने की आशंका है.
20 सूत्री की बैठक में उठा था मामला
पांच जुलाई को प्रदेश 20 सूत्री कार्यान्वयन समिति की बैठक में शैलेंद्र सिंह ने इस मामले में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था.
बैठक में मुख्यमंत्री ने बालू घाटों को मुफ्त करने पर विचार करने की बात कही थी. 10 दिन के अंदर मुख्य सचिव व उद्योग और खान सचिव को बैठक कर निर्णय लेने का निर्देश दिया था.