इसके बाद तीन अप्रैल को विभाग ने सफल अभ्यर्थियों के कागजातों की जांच की. 16 मई को परिवहन विभाग द्वारा कागजातों की भौतिक सत्यापन किया गया, लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं की गयी. जो अभ्यर्थी सफल हुए थे, वह पहले किसी-न-किसी निजी संस्थान में काम कर रहें थे. अब वह नौकरी छोड़ कर बेरोजगार हो गये हैं.
इधर, परिवहन विभाग में एमवीआइ की कमी के कारण एक-एक एमवीआइ को पांच-पांच जिलों का प्रभार दिया गया है. वह किसी एक जिले में समय नहीं दे पा रहे हैं. इससे वाहन मालिकों को समय पर फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहा है. राजस्व की वसूली भी प्रभावित हो रही है.