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ट्रॉमा सेंटर शुरू होने से पहले 27 लाख की लूट

रांची: ट्रॉमा सेंटर, हजारीबाग के शुरू होने से पहले ही सरकारी राशि की लूट हो गयी है. हजारीबाग के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ धर्मवीर ने यह गड़बड़ी की है. बाद के सिविल सर्जन ने इस संबंध में विभाग को अवगत कराते हुए डॉ धर्मवीर पर स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति 10 माह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 18, 2017 8:21 AM
रांची: ट्रॉमा सेंटर, हजारीबाग के शुरू होने से पहले ही सरकारी राशि की लूट हो गयी है. हजारीबाग के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ धर्मवीर ने यह गड़बड़ी की है. बाद के सिविल सर्जन ने इस संबंध में विभाग को अवगत कराते हुए डॉ धर्मवीर पर स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति 10 माह पहले मांगी, जो अाज तक नहीं मिली है. सितंबर 2016 में एफआइआर की अनुमति के लिए पहली चिट्ठी लिखने के बाद दो-दो बार ( 25 नवंबर 2016 तथा 17 अप्रैल 2017) इसका स्मार पत्र स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को दिया गया, पर वह भी चुप हैं. विभागीय सूत्रों के मुताबिक कम से कम 27 लाख की वित्तीय अनियमितता हुई है.

दरअसल ट्रॉमा सेंटर के निर्माण व इसके संचालन के लिए केंद्र सरकार से डेड़ करोड़ रु वर्ष 2006 में मिले थे. इसमें 11.75 लाख एंबुलेंस के लिए, एक लाख रु प्रचार-प्रसार व संचार के लिए, 77.90 लाख सिविल वर्क के लिए तथा 59.35 लाख रु उपकरणों व फर्नीचर के लिए थे. उपकरणों व फर्नीचर की खरीद में ही डॉ धर्मवीर ने भारी गड़बड़ी की है. सिविल सर्जन की रिपोर्ट के अनुसार इनवेंट्री (सामानों की सूची) बनाते वक्त 14.98 लाख के फर्नीचर गायब थे.

इसके अलावा बगैर किसी आदेश व प्रयोजन के 3.58 लाख रुपये विकास रंजन सिन्हा, नरेश कुमार, मनोज कुमार सिन्हा व पवन कुमार नाम के लोगों को बतौर एडवांस दे दिये गये. रोकड़ बही में डॉ धर्मवीर ने हस्ताक्षर भी नहीं किया है.

बगैर निविदा के 52 लाख की खरीद : डॉ धर्मवीर ने 52.56 लाख रुपये के मेडिकल उपकरणों व फर्नीचर की खरीद बगैर किसी निविदा प्रकाशन के की है. अपर बाजार के मैकी रोड स्थित किसी एआर इंटरप्राइजेज से हुई तमाम खरीद के बिल भी फरजी लगते हैं. उपकरणों की कीमत चार से पांच गुना बढ़ा कर दिखायी गयी है. बिल पर उपकरण बनाने वाले फर्म का नाम एचएलएल दर्ज है. जबकि इंवेंट्री बनाते वक्त भौतिक सत्यापन में उत्पादनकर्ता कंपनी कोई अौर मिली. दरअसल जनवरी 2015 की बिल पर न तो सीएसटी व एसएसटी नंबर है अौर न ही कोई संपर्क नंबर. मैकी रोड के व्यवसायियों ने वहां इस नाम की कोई फर्म होने से इनकार किया है. इधर खरीदने के बाद से सभी उपकरण व फर्नीचर सिविल सर्जन के सरकारी आवास में बंद हैं. इंवेंट्री तैयार करते वक्त 31 बेबी ट्रॉली मिली, जो स्टॉक लेजर में दर्ज नहीं है अौर न ही इस खरीद से संबंधित किसी खर्च का ब्योरा उपलब्ध है.

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