थाली में बचे खाने को जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं रांची के युवा
रांची में सुखप्रीत की अगुवाई में शुरू हुई पहल, अभियान में 60 लोग कर रहे हैं सहयोग पूजा सिंह रांची : कहा जाता है कि किसी भूखे को खाना खिलाना बड़ी नेमत का काम होता है. इसी बड़े काम में जुटे हैं राजधानी के कुछ युवा. थाली में बचे खाने को जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे […]
रांची में सुखप्रीत की अगुवाई में शुरू हुई पहल, अभियान में 60 लोग कर रहे हैं सहयोग
पूजा सिंह
रांची : कहा जाता है कि किसी भूखे को खाना खिलाना बड़ी नेमत का काम होता है. इसी बड़े काम में जुटे हैं राजधानी के कुछ युवा. थाली में बचे खाने को जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं. रेस्तरां या किसी पार्टी में बचे एक्स्ट्रा खाना से भूखों का पेट भर रहे हैं.
भूख के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. इस तरह के काम देश में कई संस्थाएं भागीदारी निभा रही है. इसी में एक है फीडिंग इंडिया. इसकी शुरुआत दिल्ली के अंकित कावत्रा ने 2015 में की. आज यह संस्था कई शहरों में पहुंच चुकी है. रांची में भी कुछ युवा इस संस्था से जुड़ कर जरूरतमंदों को खाना खिला रहे हैं. टीम लीडर हैं सुखप्रीत कौर. सुखप्रीत संत जेवियर्स कॉलेज से बीएड कर रही हैं.
टीम में बलप्रीत कौर, कंचन तनेजा, विकास बुधिया, पंकज, संजीव छाबड़ा, सुरभि नीरज और सीनियर मेंबर सुभाष सेठ आदि भी हैं. ये सभी बिना संकोच के यह काम कर रहे हैं. सुखप्रीत बताती हैं कि इस अभियान में करीब 50 युवा और बुजुर्ग भागीदारी निभा रहे हैं. ट्रांसपोर्टिंग का पूरा खर्च यह टीम ही वहन करती है. पिछले दो महीने में 1583 लोगों को खाना खिला चुके हैं.
रेस्टोरेंट और कैटरर्स से रहता है संपर्क
सुखप्रीत कौर बताती है कि संस्था से जुड़े मेंबर्स विभिन्न रेस्टोरेंट और कैटरर्स से संपर्क में रहते हैं, ताकि उनके यहां बचे हुए खाना को गरीबों में बांटा जा सके़ पार्टी खत्म होते ही रात के 12 या एक बजे फाेन आ जाता है़
बचे हुए खाना लेने के लिए मेंबर्स उसी समय निकल पड़ते है़ं मेंबर्स इस खाना की जांच करते हैं. इन्होंने रेस्टोरेंट व कैटरर्स को डब्बा भी दिया है, ताकि बचे हुए खाना को इसमें रख सके़ं इस खाना को सुबह छह बजे से आठ बजे के बीच विभिन्न जगहों पर बांटा जाता है. सुबह में खाना बांटने से पहले भी इसकी जांच करते हैं. खाना खराब हो जाता है, तो उसे फेंक देते है़ अब तक गुरुनानक होम, शनि मंदिर हरमू और हिनू, पहाड़ी मंदिर, मधुकम, निवारणपुर सहित कई जगहों पर खाना बांट चुके है़ं कई लोगों ने मदद के रूप में डिब्बा, बरतन और प्लेट दिया है.
अंकित की पहल रंग लायी
दिल्ली के अंकित कावत्रा बताते हैं : वह एक बड़ी पार्टी थी. करीब 30 तरह के डिश और मिठाइयां. करीब 10 हजार लोग आये थे. पार्टी में करीब 5000 लोगों का खाना बच गया. जब उन्होंने कैटरर्स से पूछा कि बचे हुए खाना का क्या होगा?
तो उसने बताया कि खाना को फेंकना होगा. यह पल मेरी जिंदगी में बदलाव का पल था. सोचा कि क्यों न इस खाना को जरूरतमंदों के बीच बांटा जाये. इसके साथ हमारा अभियान (फीडिंग इंडिया) शुरू हो गया. आज 42 शहरों में यह पहल शुरू है. युवा जुड़ कर काम कर रहे हैं. फिडिंग इंडिया की शुरुआत नॉट फॉर प्रॉफिट के रूप में की गयी है. सामाजिक कार्य के लिए अंकित को यूनाइटेड नेशनल व ब्रिटेन की महारानी से भी अवार्ड मिल चुका है़
अप्रैल में शुरू किया अभियान
सुखप्रीत बताती है कि रांची में पांच से छह लोगों ने मिल कर अप्रैल 2017 में इस पहल की शुरुआत की. स्कूल-काॅलेज के पास जरूरतमंदों को भोजन कराया़ इसे देख कर काफी संख्या में युवा और बुजुर्ग संस्था से जुड़ते चले गये़ अब तक 50 से अधिक लोग जुड़ चुके है़ं सभी खाना लाने से लेकर खिलाने में मदद करते है़ं इनके साथ छह रेस्टोरेंट और सात कैटरर्स जुड़ चुके है़ं