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रिम्स: डायरेक्टर साहब! कहां हैं आपके एचओडी, प्रोफेसर

राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स की खामियां समय-समय पर उजागर होती रहती हैं. गुरुवार दिन के 11 बजे विधानसभा की लोकलेखा समिति जब यहां निरीक्षण करने पहुंची, तो अस्पताल की अव्यवस्थाएं एक बार फिर सामने आ गयीं. इससे समिति के सदस्य काफी खिन्न दिखे और रिम्स के प्रभारी निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव को […]

राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स की खामियां समय-समय पर उजागर होती रहती हैं. गुरुवार दिन के 11 बजे विधानसभा की लोकलेखा समिति जब यहां निरीक्षण करने पहुंची, तो अस्पताल की अव्यवस्थाएं एक बार फिर सामने आ गयीं. इससे समिति के सदस्य काफी खिन्न दिखे और रिम्स के प्रभारी निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव को खूब खरी-खोटी सुनायी. लोकलेखा समिति की टीम में समिति के अध्यक्ष प्रो स्टीफन मरांडी, सदस्य राधाकृष्ण किशोर, सदस्य विरंची नारायण और महालेखाकार विभाग के अधिकारी भी शामिल थे. निरीक्षण से पहले टीम के सदस्यों ने रिम्स प्रबंधन और विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों के साथ बैठक भी की.
रांची: लोकलेखा समिति के सदस्यों ने दोपहर 2:30 बजे से अस्पताल का निरीक्षण शुरू किया. उन्होंने पहले तल से लेकर चौथे तल तक के विभागों में एचओडी और प्रोफेसरों की उपस्थिति का जायजा लिया. इसमें सभी नदारद मिले. इस पर समिति के सदस्य राधाकृष्ण किशोर भड़क गये. उन्होंने प्रभारी निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव पर सवाल दागा, ‘डायरेक्टर साहब! ये क्या है? कहां हैं आपके एचओडी और प्रोफेसर?’ इसके बाद वे समिति के अध्यक्ष प्रो स्टीफन मरांडी की तरफ मुखातिब हुए और कहा, ‘अध्यक्ष जी! देख लीजिए कुर्सियां खाली पड़ी हैं. चेंबर में ताले लटक रहे हैं. ऐसे में कैसे चलेगा रिम्स? सरकार एक प्रोफेसर पर 94 हजार रुपये खर्च करती है और ये स्थिति है.’
समिति के सदस्य सबसे पहले ऑर्थो विभाग गये, जहां न तो विभागाध्यक्ष मिले और न ही प्रोफेसर. कमरे के बाहर प्रोफेसर का नेम प्लेट भी नहीं था. इसके बाद टीम गायनी विभाग पहुंची. यहां भी प्राध्यापक डॉ अनुभा विद्यार्थी, डॉ प्रीतिबाला शर्मा और डॉ रीता लाल अनुपस्थित पायी गयीं. इएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ पीके सिंह भी नदारद पाये गये. पेडियॉट्रिक और स्किन विभाग में भी विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर नहीं मिले. समिति के सदस्य राधाकृष्ण किशोर अपने अधिकारियों को अनुपस्थित रहे सभी विभागाध्यक्षों और प्रोफेसरों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है. हालांकि, जैसे-जैसे सूचना मिल रही थी, वैसे-वैसे विभागाध्यक्ष अपने-अपने विभागों पहुंच रहे थे.
हाइजीनिक नहीं है किचन का खाना
लोकलेखा समिति की टीम मरीजों का खाना देखने के लिए रिम्स के किचन में भी गयी. राधाकृष्ण किशोर और विरंची नारायण ने किचन में बनी रोटी भी खायी. उसी दौरान विधायकों ने पाया कि रोटियों में मक्खियां बैठी हुई हैं. श्री किशोर ने तत्काल किचन के लोगों को बुलाया और कहा कि ये खाना तो हाइजीनिक नहीं है. रोटी रखने का तरीका भी सही नहीं है. रोटी में मक्खियां बैठ रही हैं. मरीजों को लाल गेंहू की रोटी देनी है, जबकि यहां मरीजों को मैदे की रोटी दी जा रही है. उन्होंने रिम्स के प्रभारी निदेशक को भी किचन का हाल देखने को कहा. समिति ने खाने की पैकिंग करानेवाली मशीन भी देखी. सदस्यों ने प्रभारी निदेशक से पूछा कि यह मशीन बंद क्यों है? इस पर उन्होंने कहा कि डेढ़ माह पहले मशीन आयी है. यह अब तक शुरू क्यों नहीं हुई, इसे दिखवाता हूं.
गंदगी का अंबार
निरीक्षण के दौरान समिति के सदस्य रिम्स के मुख्य भवन के पीछे भी गये. यहां गंदगी का अंबार देख सभी अचंभित थे. यहां कई बड़े-बड़े गड्ढे थे, जिनमें बारिश का गंदा पानी भरा हुआ था. सदस्यों ने एजी के पदाधिकारियों को भी मौके पर बुलाकर सारी स्थिति से अवगत कराया.
डेंटल विभाग भी गये समिति के सदस्य
लोकलेखा समिति के सदस्यों ने सुपरस्पेशियलिटी विंग में बने डेंटल विभाग का भी निरीक्षण किया. डेंटल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ पंकज गोयल ने समिति के सदस्यों का स्वागत किया. इस दौरान डॉ पंकज ने समिति को ओपीडी की ओर ले गये, जहां सदस्यों ने मशीनों की जानकारी ली. हालांकि, राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि अब भी डेंटल कॉलेज में बहुत काम बाकी है.
23 मरीजों को तीन घंटे भूखा रखा, ओटी तक
बुलाया, पर ऑपरेशन किये बिना लौटा दियारांची. रिम्स में गुरुवार को 23 मरीजों का ऑपरेशन टाल दिया गया. ये सभी मरीज करीब तीन घंटे तक भूखे पेट ऑपरेशन थियेटर के बाहर अपनी बारी की इंतजार करते रहे. लेकिन तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए इन्हें वापस वार्ड में भेज दिया गया. इससे मरीज अौर उनके परिजन निराश हो गये. वे रिम्स की व्यवस्था को कोसते नजर आये. रिम्स के सर्जरी विभाग में गुरुवार को तीन यूनिटों में 23 मरीजों का ऑपरेशन पहले से निर्धारित था. डॉ विनोद कुमार की देखरेख में आठ मरीज, डाॅ शीतल मलुआ की देखरेख में आठ मरीज एवं डॉ आरएस शर्मा की देखरेख में सात मरीजों का ऑपरेशन होना था. डॉक्टर सुबह नौ बजे ओटी में ऑपरेशन के लिए पहुंच गये थे. हर यूनिट की नर्स ने अपने-अपने मरीजों को ओटी में भेज दिया था. करीब तीन घंटे के इंतजार के बाद मरीजों और उनके परिजनों को बताया गया कि ओटी में बिजली नहीं है. साथ ही पानी की समस्या भी है. बिजली-पानी की समस्या के कारण ऑपरेशन में उपयोग होनेवाले उपकरणों का स्ट्रेलाइजेशन नहीं किया जा सकता है. ऐसे में ऑपरेशन नहीं हो पायेगा.
हाथ में स्लाइन लिये लौटे मरीज
ऑपरेशन के लिए कई मरीजों को स्लाइन चढ़ा दिया गया था, लेकिन ऑपरेशन नहीं होने के कारण वह अपने हाथ में स्लाइन लेकर अपने-अपने वार्ड में लौट गये. कई मरीजों का कहना था कि वे एक सप्ताह से ऑपरेशन की तैयारी कर रहे थे. अब ऑपरेशन का अगला डेट कब मिलेगा, पता नहीं नहीं चल रहा है. हालांकि, सर्जरी विभाग के जूनियर डॉक्टरों ने बताया कि अब मरीजों का ऑपरेशन सोमवार को किया जायेगा, क्योंकि ऑपरेशन की तिथि सोमवार को ही है. हालांकि जिन मरीजाें को इमरजेंसी में आॅपरेशन की आवश्यकता होगी उनका ऑपरेशन किया जायेगा.
दो घंटे क्या, दो दिन में भी नहीं मिल रही रिपोर्ट
रांची. रिम्स प्रबंधन की ओर से दावा किया जा रहा है कि हाल ही में शुरू हुए सेंट्रलाइज्ड ब्लड कलेक्शन सेंटर में मरीजों काे दो घंटे में जांच रिपोर्ट दी जा रही है. हालांकि, सच्चाई इससे उलट है. यहां मरीजों को दो दिन बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं मिल रही है. मरीज जांच रिपोर्ट के लिए चक्कर लगा रहे मरीजों को अगले दिन आने को कहा जाता है.

सेंटर के कर्मचारियों का कहना है कि बायोकेमेस्ट्री विभाग को सेंट्रेलाइज्ड ब्लड कलेक्शन सेंटर से जोड़ने के बाद कुछ दिक्कत आयी है, जिसे दूर किया जा रहा है. सोमवार तक जांच रिपोर्ट समय पर मिलने लगेगी. ऐसा ही कुछ हो रहा है पलामू निवासी उमेश सिंह के साथ. उमेशन ने 19 जुलाई को रिम्स में सेंट्रेलाइज्ड ब्लड कलेक्शन सेंटर में ब्लड शुगर रेंडम, टीएसएच एवं लिवर फंक्शन की जांच के लिए सैंपल दिया था. उसे शाम तक रिपोर्ट देने की बात कही गयी थी. जब बुधवार को वह रिपोर्ट लेने पहुंचा, तो कहा गया कि गुरुवार की शाम पांच बजे आना. लेकिन जब गुरुवार की शाम को आये है, तो कहा जा रहा है कि शुक्रवार को आना.
चार घंटे तक चली बैठक में समिति के एक भी सवाल का जवाब नहीं दे पाया रिम्स प्रबंधन
रांची. लोकलेखा समिति गुरुवार को एजी की आपत्तियों की जांच करने रिम्स पहुंची थी. समिति ने अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों के साथ बैठक की. करीब चार घंटे तक चली इस बैठक में समिति के सदस्यों ने बारी-बारी से एजी की आपत्तियों पर चर्चा की और कई सवाल भी पूछे, लेकिन प्रबंधन के अधिकारी एक भी सवाल का जवाब नहीं दे पाये. एजी ने आपत्ति जतायी थी कि वर्ष 2005 में 100 करोड़ से अधिक राशि मिली, लेकिन वह राशि अब तक खर्च नहीं हुई. सुपरस्पेशियलिटी के लिए जो यूनिट खोले जाने थे, वे भी नहीं खुल पाये है. समिति के सदस्यों ने कहा कि एम्स की तर्ज पर जिस सोच के साथ रिम्स बनाया गया था, वह 17 वर्षों में भी पूरा नहीं हुआ है. करोड़ों की मशीनें और दवाएं बेकार पड़ी हुई हैं. समिति के सदस्य राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि दुखद बात यह है कि राष्ट्रीय खेल के दौरान रिम्स को दो-दो करोड़ के दो कार्डियक एंबुलेंस दी गयी थीं, जिनमें से एक भी आज तक सड़क पर नहीं दिखी. रिम्स प्रबंधन से इस बारे में पूछने पर बताया गया कि चालक नहीं मिला, इस वजह से एंबुलेंस खड़ी है. कई मामलों में स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों को जांच का निर्देश दिया गया है. समिति ने पूरे मामलों की जांच कर 10 दिनों में रिपोर्ट मांगी है. समिति के सदस्य विरंची नारायण ने कहा कि प्रधानमंत्री बार-बार आग्रह करते हैं कि जेनेरिक दवाएं लिखें. पर रिम्स में बाहर से मंहगी दवाएं मंगायी जा रही हैं. बैठक में एक व्यक्ति चिकित्सक द्वारा लिखी गयी परची को लेकर आया. यह गलत है. उन्होंने प्रभारी निदेशक को इस मामले में तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि रिम्स में अभी बहुत कुछ करना बाकी है. वहीं, महिला के गलत ऑपरेशन मामले में उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है. दोषी के खिलाफ कड़ाई करनी चाहिए.
रिम्स में आरक्षण प्रोन्नति की कोई व्यवस्था नहीं
समिति ने कहा कि कई विभागों के प्रोफेसर रिटायर हो गये हैं. ऐसे में एसोसिएट प्रोफेसर को प्रोन्नति मिलनी चाहिए थी, लेकिन रिटायर लोगों को ही अनुबंध पर रख लिया गया है. लगभग 1500 ऐसे छात्र पारामेडिकल में नामांकित हैं, वे किसी भी विवि से संबंद्ध हैं ही नहीं. यह गलत है. उन्हें नौकरी कैसे मिलेगी?
सभी बिंदुओं पर चर्चा हुई है. करोड़ों रुपये की दवाएं यूं ही पड़ी हैं. अब तक राशि खर्च क्यों नहीं हो पायी है. इस संबंध में समिति अपनी रिपोर्ट तैयार कर विभाग को सौंपेगी.
प्रो स्टीफन मरांडी, अध्यक्ष, लोकलेखा समिति
महिला के गलत ऑपरेशन के मामले को समिति ने गंभीरता से लिया है. विभाग और रिम्स प्रबंधन को दोषी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
राधाकृष्ण किशोर, सदस्य, लोकलेखा समिति

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