असुर जाति की पहली लड़की जिसने नीट पास की, पर नहीं बन पायेगी डॉक्टर

रांची : झारखंड की आदिम जनजाति से आनेवाली नलिनी असुर ने नीट परीक्षा पास कर ली. आदिम जनजाति की असुर जाति की वह पहली लड़की है, जिसने मेडिकल परीक्षा पास की. पर वह डॉक्टर नहीं बन पायेगी. कारण है कि तकनीकी वजहों से उसे मेडिकल के प्रथम काउंसलिंग में नहीं बुलाया गया है. नलिनी ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 23, 2017 7:39 AM

रांची : झारखंड की आदिम जनजाति से आनेवाली नलिनी असुर ने नीट परीक्षा पास कर ली. आदिम जनजाति की असुर जाति की वह पहली लड़की है, जिसने मेडिकल परीक्षा पास की. पर वह डॉक्टर नहीं बन पायेगी. कारण है कि तकनीकी वजहों से उसे मेडिकल के प्रथम काउंसलिंग में नहीं बुलाया गया है. नलिनी ने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में रैंक प्राप्त करने के बाद संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर्षद द्वारा नीट (यूजी) परीक्षा के आधार पर तैयार होनेवाली स्टेट मेरिट लिस्ट के लिए आवेदन दिया था.

पर्षद द्वारा 19 जुलाई को जारी स्टेट मेरिट लिस्ट में क्रम संख्या 2400 पर नलिनी का नाम था. उसे एसटी कैटेगरी में 292 रैंक मिला था. इसके बावजूद प्रथम काउंसलिंग के लिए उसका चयन नहीं किया गया. काउंसलिंग के लिए चयन नहीं होने पर नलिनी हताश हो गयी है. गुमला विशुनपुर प्रखंड के जोभीपाठ गांव निवासी नलिनी असुर के पिता बोनू राम असुर का निधन 15 नवंबर 2001 को हो गया था. पूरे परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेवारी उसकी माता पर आ गयी. कठिन परिस्थितियों में भी नलिनी ने पढ़ाई करना नहीं छोड़ा.

मैट्रिक-इंटर में फर्स्ट डिविजन से हुई पास
नलिनी ने एसडीए सीनियर सेकेंडरी स्कूल खूंटी से मैट्रिक व प्लस टू साइंस की शिक्षा पूरी की. मैट्रिक व प्लस टू में वह फर्स्ट डिविजन से पास हुई. आदिम जनजाति असुर की वह इकलाैती लड़की है, जो मेडिकल की तैयारी कर रही है. वर्ष 2015-16 में उसने मेडिकल की तैयारी शुरू की थी. कड़ी मेहनत के बाद उसने नीट क्वालिफाइ किया. उम्मीद थी कि प्रथम काउंसलिंग में उसका चयन हो जायेगा, लेकिन पर्षद द्वारा 19 जुलाई को तैयार की गयी स्टेट मेरिट लिस्ट को संशोधित कर दिया गया. प्रथम काउंसलिंग के लिए उसका चयन नहीं किया गया. उधर, झारखंड संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा एससी-एसटी कैटेगरी के अभ्यर्थियों की काउसलिंग 23 जुलाई को निर्धारित की गयी है.
मेरा सपना टूट गया, हताश हूं
नलिनी कहती है कि वह डॉक्टर बनने का सपना लिये पिछले दो वर्षों से कड़ी मेहनत कर रही थी. स्नातक में भी दाखिला नहीं लिया. गांव में पढ़ाई की ज्यादा सुविधा न थी. खुद से मेहनत की. 61 परसेंटाइल मिला. खुश थी कि एसटी कोटा से कम से कम डॉक्टर तो बन जाऊंगी. पर काउंसलिंग में नाम न देख कर हताश हो गयी. अब क्या होगा, नहीं जानती. एक सपना था, जो टूट गया. मैं हताश हूं.

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