किस आदेश से लेते हैं आलिम-फाजिल की परीक्षा!

रांची : मदरसा में आलिम (बीए) व फाजिल (एमए) की परीक्षा को लेकर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने जैक से जानकारी मांगी है. राज्य में मदरसा की परीक्षा झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा ली जाती है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल प्रावधान के अनुरूप माध्यमिक व इंटर स्तरीय परीक्षा ले सकती है, जबकि मदरसा की आलिम व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 28, 2017 8:57 AM
रांची : मदरसा में आलिम (बीए) व फाजिल (एमए) की परीक्षा को लेकर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने जैक से जानकारी मांगी है. राज्य में मदरसा की परीक्षा झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा ली जाती है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल प्रावधान के अनुरूप माध्यमिक व इंटर स्तरीय परीक्षा ले सकती है, जबकि मदरसा की आलिम व फाजिल की डिग्री विश्वविद्यालय स्तर की है.
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने झारखंड एकेडमिक काउंसिल से पूछा है कि वे सरकार के किस आदेश के तहत आलिम व फाजिल की परीक्षा लेती है. उल्लेखनीय है कि पूर्व में झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा विभाग को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमें आलिम -फाजिल की परीक्षा जैक स्तर से नहीं लेने की बात कही गयी थी.अब स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने जैक से ही पूछा है कि क्या सरकार की ओर से कभी आलिम व फाजिल की परीक्षा लेने के लिए कोई निर्देश दिया गया था.
मामले को लेकर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तथा झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष व अधिकारियों की बैठक हुई. बैठक में इस मामले पर विचार किया गया है. जैक को कहा गया कि अगर सरकार ने इस संबंध में कोई निर्देश दिया हो इससे विभाग को अवगत कराया जाये. अगर विभाग ने इस संबंध में जैक को पूर्व में कोई निर्देश नहीं दिया है, तो काउंसिल मामले पर अपने स्तर से निर्णय ले.
विवि स्तर की आलिम-फाजिल की पढ़ाई, तो विवि स्तर से मिलनी चाहिए डिग्री
विस में उठा था मामला
यह मामला विधानसभा में उठ चुका है. विधायकों ने कहा था कि आलिम व फाजिल की पढ़ाई विश्वविद्यालय स्तर की है. इसकी परीक्षा झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा लिये जाने से इसे दूसरे राज्यों में मान्यता नहीं दी जाती है. विधायकों ने इसमें सुधार की मांग की थी.
दूसरे राज्यों में नहीं मिलती डिग्री को मान्यता
झारखंड में मदरसों से आलिम(स्नातक ऑनर्स) व फाजिल ( स्नातकोत्तर) करनेवाले परीक्षार्थियों की डिग्री को दूसरे राज्यों में मान्यता नहीं दी जाती है. इसके कारण विद्यार्थी न तो दूसरे राज्यों में नामांकन ले पाते हैं और न ही स्नातक व पीजी स्तर की नौकरी के लिए आवेदन जमा कर पाते हैं. आलिम व फाजिल की परीक्षा जैक द्वारा ली जाती है, जबकि यह प्लस-टू स्तर (इंटर) तक की परीक्षा लेने के लिए ही अधिकृत हैं. दोनों की परीक्षा विवि स्तर से होनी चाहिए. झारखंड के बाहर दोनों डिग्री को मान्यता नहीं मिलने से दूसरे राज्यों की प्रशासनिक सेवा, बैंक, रेलवे व केंद्र सरकार की अन्य नौकरियों के लिए छात्रों का आवेदन रिजेक्ट हो जाता है.
नहीं होती संपूरक परीक्षा
मदरसा शिक्षा के अंतर्गत होनेवाली वस्तानिया, फोकानिया, मौलवी, आलिम व फाजिल की परीक्षा में संपूरक परीक्षा का प्रावधान नहीं है. वार्षिक परीक्षा में फेल होनेवाले विद्यार्थियों को संपूरक परीक्षा में शामिल होने का मौका नहीं मिलता. एक वर्ष बाद ही वे परीक्षा दे पाते हैं.

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