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साहेबगंज में हाथियों के आतंक पर बोले हंटर नवाब शहफत – हालत मुश्किल, हाथियों को पकड़ना आसान नहीं

रांची/साहेबगंज : देश के जाने-माने हंटर नवाब शहफत अली खान ने झारखंड सरकार के वन विभाग को साहेबगंज की स्थिति का जायजा लेकर रिपोर्ट दे दी है. साहेबगंज में वह दो दिनों तक रहे. अब वन विभाग को उनकी रिपोर्ट पर आदेश देना है. बिहार में तीन तथा झारखंड में नौ लोगों को मार चुके […]

रांची/साहेबगंज : देश के जाने-माने हंटर नवाब शहफत अली खान ने झारखंड सरकार के वन विभाग को साहेबगंज की स्थिति का जायजा लेकर रिपोर्ट दे दी है. साहेबगंज में वह दो दिनों तक रहे. अब वन विभाग को उनकी रिपोर्ट पर आदेश देना है. बिहार में तीन तथा झारखंड में नौ लोगों को मार चुके हाथी को ट्रैंकुलाइज (बेहोश कर पकड़ना) में होनेवाली परेशानियों की जानकारी भी दे चुके हैं.
बिहार से बांकुड़ा की टीम ने इसे खदेड़कर झारखंड भेजा था. उस अभियान में भी नवाब शामिल थे. ‘प्रभात खबर’ ने नवाब शहफत अली खान से इस मुद्दे पर बात की. उन्होंने बताया कि साहेबंगज भ्रमण के दौरान वे कई गांवों में गये. गांव की महिलाएं व बच्चे उनसे मिलकर रो रहे थे. उनका कहना था कि रात में दो-दो तीन-तीन बजे हाथी आने की सूचना मिलने के बाद गोद में बच्चों को लेकर भागना पड़ता है. पिछले पांच माह से जीना हराम हो गया है. काफी मुश्किल स्थिति हो गयी है.
हाथी को ट्रैंकुलाइज करने में होगी काफी परेशानी
नवाब ने बताया कि जिन इलाकों में हाथी है, वहां की प्राकृतिक स्थिति काफी दुरूह है. जंगल काफी घना है. पहाड़ी इलाका है. वहां हाथी को ट्रैंकुलाइज करने में काफी परेशानी होगी. अभियान को सफल करने के लिए पूरी तैयारी करनी होगी. इसके लिए बांकुड़ा (पं बंगाल) से आयी टीम का सहारा लेना होगा. उनके सहयोग से हाथी को पहले मैदानी इलाका में ले जाना होगा. इसके उन गांवों में कैंप कर रहना होगा. मैदान इलाका में ले जाने के बाद ही हाथी को बंदूक से इंजेक्ट किया जा सकेगा. यह काम काफी खतरनाक भी है.
आधे घंटे से 45 मिनट बाद बेहोश होता है हाथी
इंजेक्ट करने के आधे घंटे से लेकर 45 मिनट के बाद हाथी बेहोश होता है. इंजेक्ट करने के बाद हाथी भागता है. इसका भी ध्यान रखना होता है कि हाथी पानी की ओर नहीं भागे. पानी में चले जाने पर हाथी की मौत हो जायेगी. इस काम के लिए पूरी प्लानिंग की जरूरत होती है.
हैदराबाद से आयेगा उपकरण
नवाब ने बताया कि हाथी को ट्रैंकुलाइज करने तथा पकड़ने के लिए उपकरण हैदराबाद से लाना होगा. सरकार से आदेश मिलने के बाद हैदराबाद से आदमी और उपकरण साहेबगंज लाया जायेगा. इस कारण राज्य सरकार को पांच अगस्त के आसपास अभियान शुरू करने की सलाह दी गयी है.
समाज सेवा के रूप में करते हैं काम
नवाब ने बताया कि इस तरह के अभियान के लिए वह कोई शुल्क नहीं लेते हैं. इसको वह समाजसेवा के रूप में लेते हैं. सरकार अगर चाहे तो रहने और ट्रांसपोर्टिंग का खर्च दे सकती है. उन्होंने बताया कि एक सप्ताह पहले ही महाराष्ट्र सरकार के आग्रह पर एक टाइगर को ट्रैंकुलाइज किया गया है. 2016 में बिहार सरकार की आग्रह पर एक हाथी को शूट किया गया था.

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