झारखंड में धर्मांतरण बड़ा राजनीतिक मुद्दा, रघुवर के कदम क्यों हैं सख्त?
रांची : झारखंड में धर्मांतरण अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनतादिख रहा है. झारखंड की रघुवर सरकार मॉनसून सत्र में धर्मांतरण निषेध बिल लाने की तैयारी में है. अगर यह बिल कानून का रूप अख्तियार करता है, तो ऐसा करने वाला झारखंड देश का आठवां राज्य होगा. राज्य गठन के 17 साल की अवधि में […]
रांची : झारखंड में धर्मांतरण अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनतादिख रहा है. झारखंड की रघुवर सरकार मॉनसून सत्र में धर्मांतरण निषेध बिल लाने की तैयारी में है. अगर यह बिल कानून का रूप अख्तियार करता है, तो ऐसा करने वाला झारखंड देश का आठवां राज्य होगा. राज्य गठन के 17 साल की अवधि में पहली बार कोई सरकार धर्मांतरण के मुद्दे पर इतनी मुखर और सक्रिय हुई है. धर्मांतरण कराने वाले को दोषी पाये जाने पर तीन साल की जेल और 50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया जा सकता है. हमारे अखबारप्रभात खबर में छपी एक्सक्लूसिव खबर के अनुसार, अगर धर्म परिवर्तन करने वाला अनुसूचित जाति-जनजाति समुदाय का होगा तो, धर्मांतरण कराने वाले को चार साल की सजा हो सकती है. नाबालिग का धर्मांतरण अवैध होगा. अगर कोई स्वेच्छा से धर्मांतरण करता है, तो उसे जिला प्रशासन के प्रमुख उपायुक्त को इस संबंध में सूचित करना होगा.
मुख्यमंत्री ने गुमला में दिया था संदेश
मुख्यमंत्री रघुवर दासपिछले महीने 15जून को झारखंड के दक्षिणी छोटानापुर प्रमंडल के गुमला जिले में जनजातीय समुदाय के बीच थे, तो वहीं उन्होंने बेहद कड़े शब्दों में चेताया था – झारखंड राज्य की गंभीर समस्या धर्मांतरण है. उन्होंने तब बिना किसी लाग लपेट के कहा था कि गरीबी और अशिक्षा का बेजा लाभ उठाया जा रहा है. राष्ट्र विरोधी ताकतें राज्य और देश को जलाने की कोशिश कर रहीहैं, लेकिन उनके मंसूबे सफल नहीं होने दिया जायेगा. इसके लिए राज्य में धर्मांतरण को लेकर धर्मनिषेध कानून पारित किया जायेगा. पिछले साल भी सीएम ने कहा था कि धर्मांतरण कराने वालों की जगह होटवार जेल में होगी.
गुमला में बोले मुख्यमंत्री रघुवर दास, झारखंड की गंभीर समस्या धर्मांतरण है
गुमला में रघुवर के बयान के मायने
राजनीतिक व्यक्ति समय, जगह और मौके की नजाकत को भांप कर टिप्पणी करता है. मुख्यमंत्री रघुवर दास भी इसमें माहिर हैं और उन्होंने यह बयान तब दिया जब चीन से लेकर जम्मू कश्मीर तक के मुद्दे पर भाजपा की वैचारिक लाइन तय करने वालेपार्टी महासचिवराम माधव राज्य के दौरे पर आनेवाले थे.राममाधवभाजपा मेंआरएसएस के प्रतिनिधि हैं औरवरिष्ठ प्रचारक हैं. गुमला वह जगह है, जहां की 20 प्रतिशत आबादी ईसाई है और इसमें 75-80 प्रतिशत आदिवासी समुदाय के लोग हैं. गुमला-सिमडेगा इलाके में ईसाई मिशनरियों का काफी काम है.राज्य मेंबीतेकुछ सालों में लवजिहादवप्रेमविवाहके लिएधर्मांतरण याप्रेमविवाह के बाद धर्मांतरण बड़े मुद्दे बनते रहे हैं और मीडिया में इसपरखूब खबरें छपती रही हैं.
यह ऐसा समय है, जब केंद्र व राज्य में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है. ऐसे में वह अपने वैचारिक एजेंडे को लागू कर सकती है, जिससे वह भविष्य में राजनीतिक लाभ हासिल करने का प्रयास करेगी. धर्मांतरण बिल भी इसी की एक कड़ी है.
बोले CM रघुवर, धर्मांतरण करानेवालों की जगह होटवार जेल
शाह का आगमन, माधव काटास्क
मुख्यमंत्रीकाबयानआने के दो दिन बाद राम माधव राज्य के दौरे पर थे. उन्होंने अपने प्रवास में पार्टी के हर अहम नेता से बात की, फिडबैक लिया. रघुवर सरकार ने धर्मांतरण पर जो लाइन पकड़ी थी, रांची में पार्टी नेताओं ने भी प्रेस कान्फ्रेंस कर उसका समर्थन किया. इससे पहले पलामू में हुई भाजपा की पिछली कार्यकारिणी में भी धर्मांतरण निषेध बिल लाने का प्रस्ताव पारित किया गया था.
जून में राम माधव तीन दिन के झारखंड दौरे पर थे और कुछ इलाकों में भी गये थे. रणनीतिक बैठकें भी की. इस दौरान उन्होंने पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं से स्पष्ट तौर पर कहा कि वे आदिवासी समुदाय के बीच जनाधार बढ़ाने के लिए काम करें. माधव का यह भी संदेश था कि 2019 के लिए कार्यकर्ता तैयारी करें.
झारखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र अगले सप्ताह आठ अगस्त से शुरू होने जा रहा है और रघुवर दास सरकार इस दौरान सदन के पटल पर विधेयक रखेगी.वहीं, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 15 से 17 अगस्त तक तीन दिन के झारखंड दौरे पर रहेंगे. उनका झारखंड का प्रस्तावित आगमन उनके देश भर के दौरे का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत उन्होंने उत्तरप्रदेश से की है. शाह जब रांची आयेंगे तो झारखंड की राजनीति में भी हलचल हो सकती है. उत्तरप्रदेश की राजनीतिक हलचल तो हमलोग देख ही रहे हैं. भाजपा ने झारखंड में 2019 में सभी 14 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है.
आदिवासियों के बीच जनाधार बढ़ायें कार्यकर्ता : राम माधव
रघुवर सरकार व भाजपा के स्टैंड से हलचल
रघुवर सरकार और भाजपा के स्टैंड से राज्य में हलचल मची है. राष्ट्रीय ईसाई महासंघ की प्रदेश कमेटी के महासचिव विनय केरकेट्टा ने इस मुद्दे पर पहले ही कहा है कि धर्मांतरण बिल लाना राज्य सरकार के लिए राजनीतिक मुद्दा हो सकता है, लेकिन ईसाई समुदाय के लिए यह मुद्दा नहीं है. उन्होंने कहा था कि इससे सरकार को कोई लाभ नहीं होगा और ईसाई समुदाय इससे चिंतित नहीं है. उनका तर्कहै- धर्मांतरण व्यक्तिगत आस्था का सवाल है, इसी आस्था से कई लोग आदिवासी से ईसाई, हिंदू से ईसाई, आदिवासी से मुसलिम और ईसाई से मुसलिम बने हैं. आदिवासी समुदाय की बड़ी आबादी हिंदू धर्म स्वीकार कर रही है. उसके कर्मकांड में अपनी आस्था प्रकट कर रही है. इस दृष्टिकोण से धर्मांतरण का सवाल आदिवासी के हिंदू बनाये जाने की तरह इंगित करता है.
यानी विनय केरकेट्टा इस मुद्दे पर तर्क देते हुए वहां तक ले गये जो संघ-भाजपा को पसंद नहीं आयेगी और सनातन परंपरा व जीवन पद्धति का हवाला देते हुए वह सीधे तौर पर इन बातों को खारिज कर देगी. ऐसे में राज्य में धर्मांतरण का मुद्दा गरमायेगा ही.