शिव सरोज आत्महत्या मामलाः थाना प्रभारी हटाये गये, केस सीआईडी को ट्रांसफर
रांची: धनबाद के भूूली का रहनेवाला शिव सरोज कुमार ने गुरुवार को रांची में कोतवाली थाना क्षेत्र स्थित सेवा सदन अस्पताल के बाहर पार्किंग में पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली. आत्महत्या से पहले उसने प्रधानमंत्री कार्यालय, डीजीपी, रांची डीआइजी, एसएसपी रांची, सिटी एसपी सहित पुलिस के अन्य बड़े अधिकारियों और एनजीआे को इ-मेल […]
रांची: धनबाद के भूूली का रहनेवाला शिव सरोज कुमार ने गुरुवार को रांची में कोतवाली थाना क्षेत्र स्थित सेवा सदन अस्पताल के बाहर पार्किंग में पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली. आत्महत्या से पहले उसने प्रधानमंत्री कार्यालय, डीजीपी, रांची डीआइजी, एसएसपी रांची, सिटी एसपी सहित पुलिस के अन्य बड़े अधिकारियों और एनजीआे को इ-मेल के जरिये सुसाइडल नोट भेजा. इसमें अपनी आत्महत्या के लिए चुटिया थाना प्रभारी और सिटी डीएसपी को जिम्मेदार बताया है.
पढ़े-थाना प्रभारी अजय कुमार वर्मा पद से हटाये गये
शिव सरोज कुमार पासपोर्ट का काम कराने दिल्ली से रांची आया था. इस बीच रविवार काे कुछ लोगों ने उसे अगवा कर लिया था. पुलिस ने उसे बड़ा तालाब के किनारे से बरामद किया था. शिव सरोज के पिता के बयान पर चुटिया थाने में मामला दर्ज किया गया था. अपने सुसाइडल मेल में शिव सरोज ने कहा है : मामले की जांच के दौरान पुलिस ने मेरे और मेरे पिता के साथ दुर्व्यवहार किया. चुटिया थाना प्रभारी और सिटी डीएसपी ने मुझे और मेरे पापा को गालियां दी. आरोपी जैसा व्यवहार किया. जेल भेजने की धमकी दी. मेरे पिता को कॉलर पकड़ कर धमकाया. हमारे साथ जानवरों के जैसा व्यवहार किया गया.
बीटेक किया था
शिव सरोज बीटेक किया था. पिता सुरेश कुमार बीसीसीएल से सेवानिवृत्त हुए हैं. घटना की सूचना मिलने के बाद सुरेश कुमार कोतवाली थाना पहुंचे. उन्होंने कहा, शिव सरोज कुमार की मौत पुलिस की प्रताड़ना और लापरवाही की वजह से हुई है. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया. घटना की जानकारी मिलने पर रांची रेंज के डीआइजी एवी होमकर और एसएसपी कुलदीप द्विवेदी भी जांच करने कोतवाली थाना पहुंचे.
सीएम गंभीर, 24 घंटे में जांच का आदेश
इस घटना से मुख्यमंत्री काफी दुखी हैं. उन्होंने इसे गंभीरता से लिया है. डीजीपी को निर्देश दिया है कि पूरे मामले की जांच 24 घंटे के अंदर कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें. इसकी सूचना उन्हें दें.
हटाये गये चुटिया थाना प्रभारी
चुटिया थाना प्रभारी अजय कुमार वर्मा को हटा दिया गया है. उन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया है
केस सीआइडी को ट्रांसफर. सीआइडी के एडीजी अजय सिंह के नेतृत्व में बनी टीम
सुसाइडल नोट क्या लिखा था
मेरा नाम शिव सरोज कुमार है. मेरी उम्र 27 वर्ष है. मैं धनबाद का रहनेवाला है. पासपोर्ट के कुछ काम से एयर एशिया की फ्लाइट से दिल्ली से रांची शनिवार को आया था. चुटिया स्टेशन रोड स्थित रेडियंट में ठहरा था. मुझे रूम नंबर 402 दिया गया था. रात के करीब 10 बजे होटल में कुछ लोग शराब पीकर हल्ला करने लगे. मना करने पर मुझे धमकी दी. दूसरे दिन मुझे होटल वालों ने कमरा नंबर 201 में शिफ्ट कर दिया. मैं डिनर के लिए रात करीब 10.13 बजे होटल से बाहर निकला था. मोड़ पर एक कार रुकी. मुझसे एवीएन प्लाजा का एड्रेस पूछा गया. कार के समीप पहुंचने पर मेरे मुंह पर रूमाल रख दिया गया. मैं बेहोश होने लगा. होश आया, तब खुद को कार की डिक्की में पाया. मैंने पुलिस कंट्रोल रूम में 100 नंबर को और अपने जीजाजी को फोन कर घटना की जानकारी दी.
इसके बाद कार में सवार लोगों ने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिया. थोड़ी देर बाद मैं खुद को एक तालाब में पाया. वहां से जैसे-तैसे बाहर निकला. इसके बाद मैंने खुद को मेडिका अस्पताल में पाया. यह खबर सभी अखबारों में निकली. घटना की जानकारी मिलने के बाद मेरे पापा धनबाद से रांची पहुंचे और मेरे इलाज कराया. मेरे साथ हुई घटना को लेकर चुटिया थाने में केस दर्ज हुआ. और यहां जो मेरे साथ हुआ, उसका दर्द मैं बयान नहीं कर सकता. सोमवार को दो बजे अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद मैं चुटिया थाना पहुंचा. होटल जाने पर मैंने देखा कि मेरे कमरे का सब सामान बिखरा पड़ा है. चुटिया थाने के थाना प्रभारी अजय कुमार वर्मा केस हैंडल कर रहे हैं. उनसे जब बात हुई, तो ऐसा नहीं लगा कि एक थाना प्रभारी से बात हो रही है. वह गाली देते हुए मुझे और मेरे पापा को मारने व जेल भेजने की धमकी देने लगे. मुझसे होश में बयान लिये बिना उन्होंने केस में क्या- क्या लिख दिया, मुझे पता ही नहीं चला. उन्होंने हमारी एक न सुनी. मुझे और मेरे पापा को थाने में ही बैठाये रखे. कहा कि जब डीएसपी आयेंगे, तब सामान मिलेगा. बाद में सिटी डीएसपी थाना पहुंचे. उन्होंने भी गालियां देनी शुरू कर दी. मेरे पापा से बस इतनी गलती हुई थी कि उन्होंने पुलिस को मेरे बारे में आइटी ऑफिसर बताने के बजाय आइबी का ऑफिसर बता दिया था.
मैं अपने पिता का इकलौता बेटा हूं. डीएसपी ने मेरे पापा के सामने मुझे गालियां दी. वह मेरे पिता की कॉलर पकड़ कर धमकी देने लगे. मेरे साथ पुलिस ने आरोपी जैसा व्यवहार किया. मेरे पापा के साथ भी बहुत गलत व्यवहार किया गया. मुझे और मेरे पिताजी काे दोपहर दो बजे से लेकर दूसरे दिन सुबह सात बजे तक थाने में रखा गया. इस दौरान होटल के लोग भी आये, लेकिन वे जल्दी चले गये. हमारे साथ जानवरों के जैसा व्यवहार किया गया. मैं अब पुलिस की नजर में पीड़ित नहीं होकर आरोपी बन गया था. डीएसपी मेरे खिलाफ भी अनुसंधान करने लगे. वह मेरे मोबाइल का सीडीआर निकाल कर मेरी दीदी और मेरे रिलेटिव के साथ मेरा संबंध बताने लगे. देखते ही देखते उन्होंने पूरा केस ही पलट दिया. मुझे और मेरे पापा को अलग- अलग बुला कर परेशान किया गया. मेरे पापा मेरे सामने जलील होते रहे और मैं कुछ नहीं कर पाया. मेरे पापा 2017 में बीसीसीएल धनबाद से सेवानिवृत हुए हैं. उनके साथ जैसे व्यवहार किया गया, उसे देख मुझे समझ में आ गया कि आम लोग पुलिस से हेल्प क्यों नहीं लेते हैं. थाने में जो होता है वह मुझे अब पता चला गया. हमसे बार- बार पूछताछ की गयी, ताकि हम अपना बयान बदल दें.
इसके पहले मैं और मेरे पापा कभी पुलिस स्टेशन नहीं गये थे. मेरे साथ पुलिस स्टेशन में जो कुछ हुआ, उससे मेरा रूह कांप जाता है. अब मैं जीना नहीं चाहता हूं. मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं, क्योंकि मुझे पता है कि थाने में केस को पूरी तरह पलट दिया जायेगा. मुझे धमकी दी गयी है कि जेल भेज कर करियर बिगाड़ दिया जायेगा. मेरी पूरी फैमिली को फोन कर परेशान किया गया. जब जीना नहीं चाहता. लेकिन सभी से कुछ सवाल है, जो पूछना चाहता हूं.
– क्या पुलिस को गाली देकर बात करने का परमिशन है
– नॉर्मल लोगों की कोई रिस्पेक्ट नहीं होती थाने में
– वे हमारे परेशानी दूर करने के लिए होते हैं या बढ़ाने के लिए
– हम गुंडे से डरते हैं, क्योंकि वे गुंडे हैं. लेकिन हम पुलिस से भी डरते हैं, क्योंकि वे वरदी में गुंडे हैं.
– सीनियर पुलिस अधिकारी जब गाली देकर बात करें, तो उनमें और रोड चलते मवाली में क्या अंतर है.
– आज चुटिया थाना प्रभारी और सिटी डीएसपी की वजह से मेरे पापा और मम्मी ने अकेला बेटा खो दिया.
क्या हम अाजादी से जी नहीं सकते हैं. मैं अपने पापा को थाने में अकेला छोड़ आया सुसाइड करने. मुझे नहीं पता कि उनके साथ क्या किया गया होगा. कौन साथ देगा हम जैसे लोगों का. कहां गये मानवाधिकार वाले. कहां गये हमारे झारखंड के सीएम. मेरी मौत की वजह सुसाइड नहीं मर्डर है. इसकी पूरी जिम्मेवारी चुटिया थाना प्रभारी और सिटी डीएसपी का है. उन्होंने एक रात में रावण राज की याद दिला दी. ऐसा चेहरा कभी प्रशासन का नहीं देखा था. मेरी मौत की जिम्मेवारी सिर्फ और सिर्फ चुटिया थाना प्रभारी अजय कुमार वर्मा और सिटी डीएसपी पर हैं. आप सभी से निवेदन है कि मेरे पिता की सहायता करें. मुझे कुछ नहीं चाहिए. वे सब थाने में मेरे पिता के साथ बुरा कर दें.