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काश, शौचालय होता, तो नहीं जाती मासूमों की जान

इटखोरी: काश, एरकी निवासी मुंशी रविदास के घर में शौचालय होता, तो उनके तीन मासूम पुत्रों की जान नहीं जाती. शौचालय नहीं रहने से तीनों बच्चे मोनू, सचिन व सौरव तालाब के पास शौच करने गये थेे. इस दौरान तालाब में डूबने से उनकी मौत हो गयी. स्वच्छ भारत मिशन की पोल खुली: खुले में […]

इटखोरी: काश, एरकी निवासी मुंशी रविदास के घर में शौचालय होता, तो उनके तीन मासूम पुत्रों की जान नहीं जाती. शौचालय नहीं रहने से तीनों बच्चे मोनू, सचिन व सौरव तालाब के पास शौच करने गये थेे. इस दौरान तालाब में डूबने से उनकी मौत हो गयी.
स्वच्छ भारत मिशन की पोल खुली: खुले में शौच से मुक्ति के लिए सरकार अभियान चला रही है. घर-घर मेंं शौचालय निर्माण की योजना चलायी जा रही है, लेकिन यह योजना कुछ चिह्नित गांवों में ही चल रही है. जब तक चिह्नित गांव पूरी तरह से ओडीएफ नहीं हो जाता है, तब तक दूसरे गांवों में शौचालय का निर्माण शुरू नहीं होता है.
मुखिया ने कहा: मुखिया मुकेश कुमार ने कहा कि पूर्व में इस गांव का नाम सूची में नहीं था. अब इस गांव को ओडीएफ में शामिल कर लिया गया है. गांव में शौचालय निर्माण का काम शीघ्र शुरू किया जायेगा.
बार-बार बेहोश हो जा रही है मां : इधर, एरकी निवासी मुंशी रविदास के तीनों पुत्र मोनू, सचिन व सौरव का अंतिम संस्कार गुरुवार की देर शाम किया गया. पोस्टमार्टम के बाद तीनों का शव गांव में आते रोने-चिल्लाने की आवाज आने लगी. पूरा माहौल गमगीन हो गया. किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि तीन मासूम भाइयों का शव एक साथ उठेगा. घटना के दूसरे दिन गुरुवार को भी एरकी के एक भी घर में चूल्हे नहीं जले. ग्रामीण शोक में हैं.
गांव में एक दो घर छोड़ किसी में नहीं है शौचालय
एरकी गांव में कुल 75 घर हैं. इनमें रविदास व भुइयां जाति के लोग रहते हैं. गांव में एक-दो घरों को छोड़ किसी घर में शौचालय नहीं है. सभी लोग खुले में शौच करते हैं. मृतक बच्चों के चाचा बाबूलाल रविदास ने कहा कि शौचालय होता, तो बच्चे तालाब के किनारे शौच के लिए नहीं जाते. चाचा रंजीत रविदास ने कहा कि हमलोग मुखिया को कई बार शौचालय बनवाने के लिए बोले, लेकिन मुखिया ने हमेशा अपना पैसा लगा कर बनाने को बोलते रहे और भुगतान शौचालय बनने के बाद होने की बात कहते रहे. उन्होंने कहा कि हमलोग खाना का जुगाड़ मुश्किल से करते हैं, तो अपना पैसा लगा कर शौचालय कैसे बनाये. गांव के बुधन रविदास व होरिल भुइयां ने कहा कि शौचालय होता, तो बच्चों की मौत नहीं होती. दादी फुलिया देवी ने कहा कि सरकार केवल कहती है कि घर-घर में शौचालय बनवा रहे हैं. लेकिन पूरी बस्ती में किसी के घर में शौचालय नहीं है. हमलोग सभी खुले में शौच करते हैं.

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