मेडिकल दाखिले में फर्जीवाड़ा, जेसीइसीइबी से स्वास्थ्य विभाग ने मांगी रिपोर्ट

रांची : झारखंड के मेडिकल डेंटल कॉलेज में दाखिले के फर्जीवाड़े में स्वास्थ्य विभाग ने रिपोर्ट मांगी है. विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (जेसीइसीइबी) से सोमवार तक रिपोर्ट मांगी है. रिपाेर्ट के बाद बाद विभाग इस पर कार्रवाई करेगा. विभाग ने प्रभात खबर में लगातार छप […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 6, 2017 6:31 AM
रांची : झारखंड के मेडिकल डेंटल कॉलेज में दाखिले के फर्जीवाड़े में स्वास्थ्य विभाग ने रिपोर्ट मांगी है. विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (जेसीइसीइबी) से सोमवार तक रिपोर्ट मांगी है. रिपाेर्ट के बाद बाद विभाग इस पर कार्रवाई करेगा.
विभाग ने प्रभात खबर में लगातार छप रही रिपोर्ट के आधार पर रिपोर्ट मांगी है. सूत्रों ने बताया कि जिन छात्रों के नामांकन में गड़बड़ी पायी जायेगी, उनका नामांकन रद्द किया जायेगा. दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जायेगी. उल्लेखनीय है कि मेडिकल-डेंटल नामांकन में करीब साै ऐसे विद्यार्थियाें के नाम सामने आये हैं, जिनके नाम बिहार-झारखंड की कॉमन मेरिट लिस्ट में है. जानकार बताते हैं कि यह तभी संभव है, जब आवेदकाें ने दाेनाें राज्याें का स्थानीय प्रमाण पत्र लेकर आवेदन दिया हाे.
काेई गाइडलाइन नहीं मिली : इस बीच झारखंड में मेडिकल काउंसलिंग कर रही जेसीइसीइ बोर्ड के परीक्षा नियंत्रक सुरेंद्र कुमार ने कहा कि सीबीएसइ की ओर से विद्यार्थियों के आॅल इंडिया रैंक, उनका हस्ताक्षर और फोटो आया. इसके अतिरिक्त काउंसलिंग संबंधी किसी भी तरह की कोई गाइडलाइन कहीं से नहीं आयी. हमने स्टेट मेरिट लिस्ट तैयार करने के लिए उम्मीदवारों से आवेदन पत्र भरवाया. स्थानीय प्रमाणपत्र और आरक्षण का लाभ लेनेवाले उम्मीदवारों से कास्ट सर्टिफिकेट मांगे. जिन उम्मीदवारों ने ये प्रमाणपत्र दिये, उसके आधार पर हमने कॉमन मेरिट लिस्ट तैयार किया. वह कहते हैं : संभव है, कई उम्मीदवार ऐसे भी होंगे, जिन्हाेंने गलत स्थानीय प्रमाण पत्र बना कर आवेदन पत्र के साथ जमा किया हो. चूंकि हमारे पास किसी तरह का मैकेनिज्म नहीं है, इसलिए हमारे लिए यह तय करना संभव नहीं है कि उम्मीदवार ने जाे स्थानीय प्रमाणपत्र जमा किया है, वह गलत है.
शिकायत मिलने पर कार्रवाई संभव : सुरेंद्र कुमार कहते हैं कि अगर उनके पास किसी तरह की लिखित शिकायत आती है, तो हम जांच के लिए भेजेंगे. अगर जांच में प्रमाणपत्र गलत निकलता है, तो नामांकन रद्द करने की अनुशंसा कर सकते हैं.
दो राज्याें में आवेदन करना ही गलत
अच्छे मेडिकल कॉलेज में नामांकन की उम्मीद से एक उम्मीदवार दो जगह स्थानीय प्रमाणपत्र जमा करता है. नियम यह कहता है कि एक स्थानीय प्रमाणपत्र का लाभ आप एक ही जगह ले सकते हैं. चाहें स्थानीय प्रमाणपत्र किसी भी नियम- कायदे के अनुरूप बना हो. अब जिस उम्मीदवार का नाम झारखंड व बिहार दोनाें ही राज्यों की मेरिट लिस्ट में है, तो यह निश्चित है कि उन्हाेंने दोनों जगह स्थानीय प्रमाणपत्र दिया है. एक जगह का प्रमाणपत्र फर्जी जरूर है. विशेषज्ञों की माने तो नीट के आवेदन के समय ही उम्मीदवारों से राज्य प्रिफरेंस मांगा जाता है, इसका मतलब ही होता है कि उसने उसी राज्य को प्रिफरेंस में दिया है, जहां का स्थानीय प्रमाण पत्र उसके पास होगा.
दोषी पाये गये, तो कक्षा से होंगे वंचित
रिम्स के एकेडमिक डीन डॉ आरके श्रीवास्तव ने बताया कि स्थानीयता के नाम पर गड़बड़ी करनेवाले छात्रों की शिकायत मिलती है, तो जेसीइसीइ बोर्ड या सरकार को जांच के लिए लिखा जायेगा. विद्यार्थी दोषी होंगे, तो उन्हें कक्षा से वंचित कर दिया जायेगा.

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