1950 से एसटी, एससी और 1978 से रहनेवाले ओबीसी को ही आरक्षण का लाभ
रांची : केंद्रीय नियोजनों और केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में नामांकन के लिए दिये गये आरक्षण की सुविधा वर्ष 1950 से राज्य में रहने वाले एसटी, एससी को है. इनके अलावा वर्ष 1978 से झारखंड के निवासी ओबीसी-2 भी आरक्षण का लाभ लेने के हकदार हैं. निर्धारित वर्षों की अहर्ता पूरी नहीं करनेवाले को स्थानीय निवासी […]
रांची : केंद्रीय नियोजनों और केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में नामांकन के लिए दिये गये आरक्षण की सुविधा वर्ष 1950 से राज्य में रहने वाले एसटी, एससी को है. इनके अलावा वर्ष 1978 से झारखंड के निवासी ओबीसी-2 भी आरक्षण का लाभ लेने के हकदार हैं. निर्धारित वर्षों की अहर्ता पूरी नहीं करनेवाले को स्थानीय निवासी नहीं माना जायेगा. उनको राज्य सरकार की ओर से जाति प्रमाण पत्र निर्गत भी नहीं किया जायेगा. इस बारे में कार्मिक विभाग द्वारा सर्कुलर जारी किया गया है.
हाल ही में दुमका एसडीओ द्वारा दुमका में रहनेवाले वीरेंद्र कुमार की पुत्री सुरभि कुमारी का जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया गया था. उसमें सुरभि कुमारी को बिहार का मूल निवासी बताया गया था. कार्मिक विभाग द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि सुरभि कुमारी को झारखंड राज्य से आरक्षण की सुविधा नहीं दी जा सकती है. आरक्षण की सुविधा केवल उनको ही मिलेगी, जिनकी जाति का नाम झारखंड राज्य के लिए जाति की सूची में दर्ज है. इसके अलावा जाति प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए संबंधित एसटी, एससी या ओबीसी को झारखंड का स्थानीय निवासी होना भी जरूरी है. संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत राज्य में 1950 से रहने वाले एसटी, एससी और 1978 से रहने वाले ओबीसी-2 को ही स्थानीय निवासी माना जायेगा.
कार्मिक विभाग ने जाति प्रमाण पत्र निर्गत कराने वाले आवेदकों को सूचित किया है कि सभी नागरिक अपने मूल राज्य से संबंधित जानकारी सक्षम प्राधिकार को अवश्य दें. बिना राज्य के मूल निवासी हुए आरक्षण का लाभ हासिल करने के लिए जाति प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जा सकता है.