नौवीं व 11वीं बोर्ड में पास, पर आधे छात्र मैट्रिक-इंटर में हो जाते हैं फेल
रांची: राज्य सरकार ने रिजल्ट में सुधार के लिए शैक्षणिक सत्र 2017-18 से कक्षा आठ में बोर्ड परीक्षा शुरू करने का निर्णय लिया है. परीक्षा लेने की जिम्मेदारी झारखंड एकेडमिक काउंसिल को दी गयी है. जैक द्वारा पहले से भी कक्षा नौ व 11 वीं में बोर्ड की परीक्षा ली जाती है. नौवीं व 11वीं […]
रांची: राज्य सरकार ने रिजल्ट में सुधार के लिए शैक्षणिक सत्र 2017-18 से कक्षा आठ में बोर्ड परीक्षा शुरू करने का निर्णय लिया है. परीक्षा लेने की जिम्मेदारी झारखंड एकेडमिक काउंसिल को दी गयी है. जैक द्वारा पहले से भी कक्षा नौ व 11 वीं में बोर्ड की परीक्षा ली जाती है. नौवीं व 11वीं की परीक्षा में सफल नहीं होनेवाले विद्यार्थियों को मैट्रिक व इंटर की बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं होने देना है.
झारखंड में अब तक इन दोनों परीक्षा में खानपूर्ति होती आ रही है. नौवीं व 11वीं की परीक्षा में पास होने के बाद विद्यार्थी कक्षा दस व 12वीं में प्रमोट होते हैं. यही विद्यार्थी जब मैट्रिक व इंटर की फाइनल परीक्षा में बैठते हैं, तो अलग-अलग संकाय में 30 से लेकर 50 फीसदी तक फेल हो जाते हैं. इंटरमीडिएट साइंस की परीक्षा में प्रति वर्ष लगभग आधे बच्चे फेल हो जाते हैं. नौवीं व 11वीं की परीक्षा में जिन स्कूल-कॉलेजों का रिजल्ट 90 से लेकर सौ फीसदी तक होता है, वार्षिक परीक्षा में इन स्कूल-कॉलेज से 60 से 70 फीसदी तक बच्चे फेल हो जाते हैं.
परीक्षा पास नहीं करनेवाले को भी कर दिया जाता है प्रमोट.
परीक्षा के नाम पर होती है खानापूर्ति
नौवीं व 11वीं की परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा स्कूल-कॉलेजों को उपलब्ध कराया जाता है. परीक्षा लेने की जिम्मेदारी संबंधित स्कूल-कॉलेज की होती है. उत्तरपुस्तिका की जांच भी संबंधित स्कूल-कॉलेज के शिक्षक ही करते हैं. स्कूल-कॉलेज परीक्षा में शामिल होने वाले लगभग शत-प्रतिशत बच्चों को पास कर देते हैं. दोनों परीक्षा में गड़बड़ी का मामला भी सामने आते रहता है. वर्ष 2016 में 11वीं की परीक्षा में कई काॅलेजों में खुलेआम नकल की बात सामने आयी थी. इसके बाद जैक ने तीन कॉलेजों की परीक्षा को रद्द कर दिया था. नौवीं व 11वीं की उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन भी ठीक से होता है या नहीं, इसकी भी जांच नहीं की जाती. स्कूल-कॉलेजों को केवल रिजल्ट की जानकारी जैक को देनी होती है.
अभिभावक करते हैं विरोध
कुछ स्कूल-कॉलेजों में अगर कक्षा नौवीं व 11वीं में बच्चे फेल होते हैं, तो अभिभावक इसका विरोध करते हैं. खासकर ग्रामीण क्षेत्र में इससे शिक्षकों को काफी परेशानी होती है. राज्य में कई ऐसे स्कूल-कॉलेज हैं, जहां नौवीं व 11 वीं की परीक्षा प्रावधान के अनुरूप होता है. वैसे स्कूल-कॉलेजों का रिजल्ट बेहतर होता है.
क्या कहते हैं जैक अध्यक्ष
जैक अध्यक्ष डॉ अरविंद प्रसाद सिंह ने कहा कि कक्षा नौवीं व 11 वीं की परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र व उत्तरपुस्तिका जैक द्वारा स्कूल-कॉलेजों को उपलब्ध कराया जाता है. परीक्षा लेने से लेकर मूल्यांकन तक का कार्य स्कूल-कॉलेज अपने स्तर से करते हैं. जैक प्रति वर्ष मैट्रिक, इंटर,मदरसा, मध्यमा, इंटर वोकेशनल, शिक्षक प्रशिक्षण, मॉडल स्कूल, नेतरहाट व इंदिरा गांधी विद्यालय की प्रवेश परीक्षा, छात्रवृत्ति परीक्षा लेता है. इसके अलावा सरकार द्वारा समय-समय पर दी गयी अन्य परीक्षा का भी संचालन किया जाता है. ऐसे में यह संभव नहीं है कि नौवीं व 11 वीं की परीक्षा की उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन व रिजल्ट प्रकाशन भी जैक करे. सीबीएसइ व अन्य बोर्ड में भी नौवीं व 11 की परीक्षा विद्यालय स्तर पर होती है. ऐसे में झारखंड में भी विद्यालय व कॉलेजों को इसकी गंभीरता को समझना होगा. अगर विद्यार्थी को शिक्षण संस्थान अपने स्तर से अगली कक्षा में प्रमोट करते हैं, तो यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. अगली कक्षा में प्रमोट होकर भी विद्यार्थी मैट्रिक-इंटर की वार्षिक परीक्षा में फेल हो जाते है. इससे बेहतर है कि विद्यार्थी को नौवीं व 11 वीं की कक्षा में ही रोक दिया जाये. इसके लिए स्कूल-कॉलेज के प्राचार्य, शिक्षक व अभिभावक को जागरूक होना होगा.
इंटर साइंस की परीक्षा
वर्ष 11वीं पास इंटर में फेल
2008 62980 31,304
2009 73197 38677
2010 85779 60,084
2011 104333 69173
2012 108854 56194
2013 81831 50504
2014 82945 30145
2015 79385 28667
2016 87307 36352
2017 90871 43282
2008 339027 44077
2009 355393 78805
2010 402019 103011
2011 354626 108824
2012 431623 140914
2013 469667 126084
2014 478079 118074
2015 455829 131249
2016 4,70280 1,52625