एसपी निर्गत प्रतिवेदन के आधार पर आदेश जारी करते हैं. इसलिए तीनों एसपी पर कांड में नर्मी बरतने का सीधा आरोप प्रमाणित नहीं होता है. उधर, इस मामले में लोकायुक्त कार्यालय ने तत्कालीन डीएसपी रेणुबाला से स्पष्टीकरण पूछा है. वह फिलवक्त नोयडा में रहती हैं. उनके पुत्र अाइएस अधिकारी हैं.
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पांच कनीय पुलिस अफसरों को शो-कॉज, बड़े अफसरों को क्लीन चिट कनीय पर कार्रवाई शुरू
रांची : कोयला तस्करों को फायदा पहुंचाने से जुड़े पांच मामलों में बोकारो के तत्कालीन तीन एसपी को पुलिस मुख्यालय ने क्लीन चिट दे दिया है. हालांकि मामले की जांच और पर्यवेक्षण में लापरवाही के लिए उस समय की डीएसपी रहीं रेणुबाला सहित नौ अफसरों को जवाबदेह बताया गया है. इनमें से छह अफसरों से […]
रांची : कोयला तस्करों को फायदा पहुंचाने से जुड़े पांच मामलों में बोकारो के तत्कालीन तीन एसपी को पुलिस मुख्यालय ने क्लीन चिट दे दिया है. हालांकि मामले की जांच और पर्यवेक्षण में लापरवाही के लिए उस समय की डीएसपी रहीं रेणुबाला सहित नौ अफसरों को जवाबदेह बताया गया है. इनमें से छह अफसरों से बोकारो एसपी ने स्पष्टीकरण पूछा है.
वहीं, डीएसपी सहित तीन अफसर रिटायर्ड हो गये हैं, इस वजह से उनसे स्पष्टीकरण नहीं पूछा गया है. मामले में लोकायुक्त को भेजी गयी रिपोर्ट में पुलिस मुख्यालय ने कहा है कि सबूत जुटाने की मुख्य भूमिका अनुसंधानक और पर्यवेक्षी पदाधिकारी का होता है.
किस मामले में क्या हुई कार्रवाई
1. चास (मु.) थाना कांड संख्या 46/08 : अनुसंधानक दारोगा एमए खान की मौत हो चुकी है. इस वजह से इनसे स्पष्टीकरण नहीं पूछा गया है. वहीं उस वक्त थानेदार रहे इंस्पेक्टर संजय कुमार से स्पष्टीकरण पूछा गया है. इस मामले में बोकारो डीआइजी की जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि आरोपी अनिल गोयल, प्रदीप ख्वास आैर अजय महथा के खिलाफ सबूत रहते हुए भी उसे एकत्र नहीं किया गया. इस वजह से तीनों के खिलाफ कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं किया.
2. चास (मु.) थाना कांड संख्या 54/08 : अनुसंधानक बुचना चौबे और तत्कालीन थाना प्रभारी अमोद नारायण सिंह से स्पष्टीकरण पूछा गया है. वहीं मामले की जांच से जुड़े दरोगा वीरेंद्र नाथ पांडेय सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इस वजह से इनसे स्पष्टीकरण नहीं पूछा गया है. इन पर आरोप है कि इन्होंने आरोपी उमेश सिंह के नाम का सत्यापन तक नहीं किया और चार्जशीट कर दी.
3. चास (मु.) थाना कांड संख्या 56/08 : मामले के अनुसंधानक सह थाना प्रभारी अमोद नारायण सिंह से स्पष्टीकरण पूछा गया है. इन्होंने कोयला तस्कर अनिल गाेयल, अजय शर्मा, अंबुज शर्मा और लोखिंद्र शर्मा को गिरफ्तार करने का प्रयास नहीं किया.
4. चास (मु.) थाना कांड संख्या 60/08 : तत्कालीन अनुसंधानक दारोगा इंद्रपाल उरांव और तत्कालीन थाना प्रभारी आमोद नारायण सिंह से स्पष्टीकरण पूछा गया है. इन्होंने कोयला तस्कर अनिल गोयल के खिलाफ सबूत नहीं जुटाया.
5. चास (मु.) थाना कांड संख्या 130/08 : तत्कालीन थाना प्रभारी प्रेम मोहन से स्पष्टीकरण पूछ गया है, अनुसंधानक मो. असफक रिटायर्ड हो गये हैं, इसलिए इनसे स्पष्टीकरण नहीं पूछा गया है. इन्होंने कोयला तस्करी के आरोपी प्रदीप ख्वास और उमेश सिंह के खिलाफ ठोस सबूत एकत्र नहीं किया.
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